बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि, कानून में शव के साथ रेप करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता। इसलिए इस अपराध के लिए सजा का प्रावधान नहीं है। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने मृतका बच्ची की मां की याचिका को खारिज कर दी है। दरअसल, 9 साल की मासूम बच्ची की मां ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी। जिसमें उसकी बेटी के शव के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी को सजा नहीं सुनाई थी।
लोअर कोर्ट ने इस केस में सिर्फ सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए 7 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए मां की हस्तक्षेप याचिका खारिज कर दी है। 9 साल की मासूम के शव के साथ रेप के आरोपी को हाईकोर्ट भी सजा नहीं दे सका। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि, मौजूदा स्थिति में देश में जो कानून है, उसमें शव के साथ दुष्कर्म के मामले को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। मौजूदा कानून में नेक्रोफीलिया क्राइम नहीं है। डिवीजन बेंच ने इस केस में ट्रायल कोर्ट के सबूत मिटाने के फैसले को यथावत रखा है। कोर्ट ने अपने फैसले में नेक्रोफीलिया का जिक्र किया है। मेडिकल में नेक्रोफीलिया एक तरह की अजीब बीमारी है। जिसमें पीड़ित व्यक्ति का शव की तरफ यौनाकर्षण होता है। इसमें किसी व्यक्ति की शव के साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा होती है। विशेषज्ञों का दावा है कि, दुनिया में इस मानसिक बीमारी के कई मामले सामने आ चुके हैं। मासूम बच्ची की हत्या का यह मामला 18 अक्टूबर 2018 की है।
गरियाबंद निवासी महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि, वो एक अफसर के यहां काम करती थी। घटना के दिन वो काम पर गई थी। घर पर उसकी 9 साल की बेटी और मां थी। काम के बाद दोपहर में जब वह घर आई तब बेटी नहीं मिली। आसपास खोजबीन के बाद रिश्तेदारों और पहचान वालों से भी बेटी की तलाश की, पर वो नहीं मिली। कहीं पता नहीं चलने पर बच्ची की मां पुलिस के पास गई। जिसके बाद पुलिस ने खोजबीन शुरू की। सुनसान इलाके में बेटी की लाश मिली। पुलिस ने घटनास्थल से खून से सनी मिट्टी समेत अन्य सामान जब्त किया। 22 अक्टूबर 2018 को आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ की।