छत्तीसगढ

पिता ने बनाईअपने बेटे के लिए, स्कूल जाने के लिए ई-बाइक..

बालोद | छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक पिता ने अपने बेटे की दिक्कतों को देखते हुए स्कूल के लिए एक साइकिल से ई-बाइक बना दी। पिता ने जुगाड़ से ई-बाइक बनाई है। अब बेटे को 20 किलोमीटर दूर स्कूल जाने में परेशानी नहीं होती है।

बालोद जिले के ग्राम दुचेरा के एक पिता संतोष साहू ने अपने पुत्र के स्कूल जाने की परेशानियों को देखते हुए कबाड़ के सामान से एक ई-बाइक का निर्माण कर दिया। अब पूरे प्रदेश में यह ई-बाइक चर्चा का विषय बनी हुई है। संतोष साहू का पुत्र किशन साहू कक्षा आठवीं में पढ़ता है। सेवा आत्मानंद स्कूल में पढ़ना शुरू किया है जो कि जिले के ग्राम पर जिंदा में है और इसके गांव से लगभग उसकी दूरी 20 किलोमीटर है। संतोष कुमार ने बताया कि मेरे बेटे के स्कूल जाने में काफी तकलीफ होती थी। कभी बस छूट जाती थी तो कभी वापस आने के लिए बस नहीं मिलती थी। इसके लिए मैंने दिमाग लगाया कुछ इंटरनेट का सहारा लिया और फिर बेटे के लिए एक साइकिल बनाई। अब मेरा बेटा मजे से स्कूल जाता है और अपने समय पर वापस लौट आता है।

बेटा बोला- मुझे पिता के काम पर गर्व
कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार साहू ने बताया कि मैं एक बार साइकिल को चार्ज करता हूं तो दो दिन आराम से स्कूल जाता हूं और पिछले तीन साल से मैं इसी में स्कूल आना जाना कर रहा हूं। बातचीत में कहा कि मैं पहले पास में पढ़ता था लेकिन जब मैं अर्जुंदा स्कूल में दाखिला लिया तो मुझे साइकिल के कारण काफी दिक्कतें होती थी। पापा ने मेरी तकलीफों को देखा और साइकिल कबाड़ से खरीद कर उसमें बैटरी लगाई। एक्सीलेटर लगाए और अब मैं अपने समय से स्कूल जाता हूं और आता हूं। मुझे अपने पिता पर गर्व है।

पिता संतोष कुमार ने बताया कि जब से बच्चे का वीडियो अन्य माध्यमों से लोगों तक पहुंचा है। तब से मेरे पास तीन ने साइकिल बनाने का ऑर्डर मिला है। मैं तो इसे शॉक के तौर पर अपने बेटे के लिए बनाया था। यह मेरी मजबूरी थी क्योंकि मुझे अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है और मैं चाहता हूं कि उसके पढ़ाई लिखाई में किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न न हो परंतु आज इसकी चर्चा इतनी हो रही है कि मुझे इस तरह साइकिल बनाने के ऑर्डर मिलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि इसे 6 से 8 घंटे चार्ज करना पड़ता है और 80 किलोमीटर की इसकी रेंज है तो बच्चे को आने-जाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है।

पेशे से वेल्डर हैं पिता
कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार के पिता पेशे से वेल्डिंग का काम करते हैं और उनकी एक छोटी सी दुकान है। उन्होंने अपने इस स्केल का उपयोग अपने बच्चों की सहूलियत के लिए किया और आज उनका बेटा वायरल बॉय बन गया है। पिता ने कहा कि मुझे स्कूल आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं होती।
साइकिल को ऐसे बनाया ई-बाइक
बच्चे के पिता संतोष साहू ने बताया कि मैंने अलग-अलग जगह से सामान खरीदा और उसे साइकिल में फिट किया। मेहनत तो लगी पर दो दिन में मैंने इसे पूरा कर दिया। फिर सफलता मिली तो आज मैं काफी खुश हूं कि मेरा बेटा आराम से स्कूल आ जा सकता है। यहां किसी तरह की कोई समस्या उसे नहीं होती है।
Show More

Related Articles

Back to top button
Everything you didn’t know about los angeles How to get safari’s privacy feature in chrome
Everything you didn’t know about los angeles How to get safari’s privacy feature in chrome The Venice Simplon Orient Express Honcymooning in italy