“2025 में चार ग्रहों का राशि परिवर्तन: ज्योतिषाचार्य की नजर में देश पर संभावित प्रभाव”
इंदौर। वर्ष 2025 में चार बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा, जिनका असर न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। भारतीय ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा के अनुसार ये परिवर्तन 2024 से ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं, जिससे देश और दुनिया में बड़े बदलाव होंगे। इस साल के शुरुआत से ही ग्रहों की स्थिति अस्थिरता और विपत्ति को जन्म दे सकती है।
ग्रहों का राशि परिवर्तन और उसके प्रभाव
शनि का मीन राशि में प्रवेश (29 मार्च 2025)
29 मार्च 2025 को शनि ग्रह कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेगा। यह गोचर देश और दुनिया में महत्वपूर्ण बदलावों का कारण बनेगा। मीन राशि और 12वां भाव गुरु का है, और शनि इन ग्रहों से संबंध बनाता है, जिससे देश के अंदर आपसी सौहार्द, शांति और समृद्धि में कमी हो सकती है। इस समय अकाल, युद्ध, दंगे, विस्फोट, भूचाल, महामारी, और प्राकृतिक आपदाओं के कारण जन और धन की हानि हो सकती है। इसके अलावा, विदेश नीति और भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
बृहस्पति का मिथुन में गोचर (14 मई 2025)
14 मई 2025 से बृहस्पति का गोचर वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में होगा। बृहस्पति की यह गति तीन गुना तेज होगी और यह आठ वर्षों तक जारी रहेगी। इसका प्रभाव जलवायु परिवर्तन और असामान्य तापमान वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है। समुद्र के किनारे रहने वाले लोग जलवायु परिवर्तन के कारण जान-माल का नुकसान उठाने के जोखिम में हो सकते हैं। हालांकि, बृहस्पति शनि द्वारा हो रहे नकारात्मक प्रभावों को कुछ हद तक कम करने का प्रयास करेगा।
भारत में तकनीकी और सैन्य क्षेत्र में उन्नति
राहु और केतु का गोचर (18 मई 2025)
राहु का गोचर कुंभ राशि में होगा, जिससे भारत को तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल हो सकती है। खासकर अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को उल्लेखनीय उपलब्धियां मिल सकती हैं। साथ ही, भारत का सैन्य क्षेत्र भी मजबूत होगा, जिससे देश की सुरक्षा और शक्ति में वृद्धि होगी। हालांकि, केतु के प्रभाव से घरेलू उद्योग में मंदी आ सकती है और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसके अलावा, कोरोना जैसी कोई नई महामारी भी उत्पन्न हो सकती है।
देश में बढ़ेगा राष्ट्रवाद और सांप्रदायिकता
राष्ट्रवाद की भावना में बढ़ोतरी
इस वर्ष के अंत में देश में राष्ट्रवाद की भावना में वृद्धि देखने को मिल सकती है। लोग अपनी व्यक्तिगत हितों को छोड़कर एकजुट होकर देश के लिए काम करेंगे। इसके बावजूद कुछ ऐसे लोग सक्रिय हो सकते हैं, जो देश को तोड़ने का एजेंडा रखते हैं, लेकिन उनका असर ज्यादा नहीं होगा। सरकार के खिलाफ चलने वाले आंदोलन और जन संघर्ष भी देश के कुछ हिस्सों में देखने को मिल सकते हैं।
आंतरिक संकट और अस्थिरता
शनिदेव और बृहस्पति के प्रभाव से भारत के आंतरिक संकट और अस्थिरता के मुद्दे में कुछ सुधार हो सकता है। हालांकि, कुछ राज्यों में दंगे और आंदोलन की संभावना बढ़ सकती है। भारत के भीतर सरकार को अस्थिर करने की साजिशें भी बन सकती हैं, जिससे जनता में डर और अनिश्चितता फैल सकती है।
भारत और पड़ोसी देशों के साथ टकराव
भारत का पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। 2025 में इन देशों के साथ बड़े पैमाने पर टकराव होने की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा, गुप्त शत्रुओं द्वारा भारत को नुकसान पहुंचाने की भी आशंका है।
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