High Court: आईएएस अधिकारी को क्योँ पड़ी हाईकोर्ट की फटकार

High Court:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने जमीन आवंटन के मामले में आदेशों की अवहेलना पर नाराजगी जताई और कार्रवाई के निर्देश दिए।

पूरा मामला क्या है?

नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) ने एक कंपनी को जमीन आवंटित की थी, जबकि इस मामले पर हाईकोर्ट में याचिका लंबित थी। कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज कर दिया गया और 2023 में जमीन आवंटन कर दिया गया।

जब यह मामला कोर्ट के सामने आया तो बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया। NRDA के सीईओ और आईएएस अधिकारी सौरव कुमार को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ा।

कोर्ट की नाराजगी और तीखी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान जब हाईकोर्ट ने अधिकारी सौरव कुमार से पूछा कि जब मामला विचाराधीन था तो जमीन का आवंटन किस आधार पर किया गया?

इस पर सौरव कुमार ने कहा कि उन्हें आदेश समझ नहीं आया। इस जवाब पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा –”क्या हम यह लिख दें कि एक आईएएस अधिकारी को हाईकोर्ट का आदेश समझ में नहीं आया?” कोर्ट ने यह भी कहा कि यह आदेशों की अवहेलना और कोर्ट की अवमानना का गंभीर मामला है।

क्या जमीन आवंटन के पीछे कोई मिलीभगत थी?

इस पूरे प्रकरण में एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या यह सिर्फ एक गलती थी या फिर इसके पीछे कोई मिलीभगत थी? हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जमीन आवंटन में शामिल सभी अलॉटमेंट कमेटी के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर याचिका पर फैसला आने तक इंतजार किया जाता, तो यह समस्या नहीं होती।

कोर्ट की सख्ती और पारदर्शिता पर सवाल,

हाईकोर्ट ने इस मामले में NRDA के असिस्टेंट मैनेजर को भी तलब किया और हलफनामे में गलत जानकारी देने पर नाराजगी जताई।

कोर्ट ने पूछा –
“हलफनामा तैयार करने में लापरवाही क्यों बरती गई?”
कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि “यह अधिकारी इस पद के योग्य नहीं है।”
इस मामले ने सरकारी कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कौन-कौन हैं दोषी?

इस मामले में मुख्य रूप से NRDA के सीईओ और आईएएस अधिकारी सौरव कुमार के अलावा अलॉटमेंट कमेटी के सदस्य और असिस्टेंट मैनेजर शामिल हैं। कोर्ट ने इन सभी पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

जनता की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

इस मामले के उजागर होने के बाद जनता में भी नाराजगी देखी जा रही है।
सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं –

क्या यह सिर्फ एक प्रशासनिक गलती थी?
क्या इसमें भ्रष्टाचार हुआ था?
क्या दोषी अधिकारियों को कड़ी सजा मिलेगी?

अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कितनी सख्ती से होता है।

इस मामले का क्या असर होगा?

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह फैसला एक सख्त संदेश देता है कि सरकारी आदेशों की अवहेलना करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

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