क्या है “ट्रंप टैरिफ”? जिसने दुनियाभर में मचा दिया बवाल

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति लागू होने के बाद दुनियाभर में बवाल मचा हुआ है। ऐसे में दुनियाभर के बाजारों में भूचाल मचा हुआ है। भारत सहित विश्वभर के बाजारों में मंडी का दौर छाया हुआ है। वही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की इस नीति को लेकर कई देश ट्रंप के विरोध में उतर आए हैं। साथ ही उन्हें कई बड़ी चुनौती भी दी है। ट्रंप की इस नीति दुनियाभर में मंडी का दौर शुरू हो गया है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं की आखिरकार “ट्रंप टैरिफ” क्या है? और इस नीति ने दुनियाभर में क्यों भूचाल मचा दिया हैं?
ट्रंप की नई टैरिफ नीति के तहत सभी देशों पर 10 फीसदी का बेस टैरिफ लगाया गया है, जिसमें भारत पर 26 फीसदी अतिरिक्त शुल्क जोड़ा गया है। वहीं चीन पर 34 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी, बांग्लादेश पर 37 फीसदी और यूरोपीय संघ पर 20 फीसदी का टैरिफ लागू किया गया है। ऐसे में भारत, कंपीटिटिव देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है, क्योंकि भारतीय सामान अब भी अमेरिकी बाजार में तुलनात्मक रूप से सस्ते रहेंगे।
अमेरिका के जवाबी शुल्क को लेकर चिंता के बीच भारत सहित दुनियाभर के बाजारों में बड़ी गिरावट आई है। स्थानीय शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 2226.79 अंक का गोता लगा गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 743 अंक लुढ़क गया। 10 महीने में यह शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क बड़े जाने और चीन के जवाबी कदम से आर्थिक नरमी आशंका के बीच बाजार में भरी गिरावट आई है।
30 शेयरों पर आधारित BSE सेंसेक्स में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और यह 2226.79 अंक यानी की 2.95 प्रतिशत के नुकसान के साथ 73137.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 3939.68 यानी 5.22 प्रतिशत तक लुढ़क गया है। वैश्विक बाजारों में मंदी की आशंकाओं के बीच स्थानीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आने से निवेशकों के 14 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
BSE का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचनांक सेंसेक्स 2226.79 अंक यानी की 2.95 प्रतिशत टूटकर 73137.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 3939.68 अंक का गोटा लगते हुए 71425.01 अंक पर आ गया था। BSE पर छोटी कंपनियों का स्मॉलकैप सूचनांक भी 4.13 प्रतिशत के नुकसान में रहा, जबकि मिडकैप में 3.46 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
एशिया के बाजारों का हाल बेहाल
एशिया में शेयर बाजारों की बात करें तो चीन का शंघाई 5 फीसदी दबाव के साथ खुला। हांगकांग का हैंगसैंग में 13 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। जापान का निक्की 225 तक़रीबन 8 प्रतिशत टुटा। वही शंघाई SSE कंपोजिट 7 प्रतिशत के नुकसान पर रही। दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 5 प्रतिशत गिरा। वही यूरोप के प्रमुख बाजारों की बात करें, तो यहां 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। फिलहाल “ट्रंप टैरिफ” को लेकर दुनियाभर के बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है।
इस चौतरफा गिरावट का असर ये हुआ कि BSE पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण एक ही कारोबार सत्र में 14,09,225.75 करोड़ रूपए यानी की 4.54 लाख करोड़ डॉलर रह गया। हालांकि कारोबार के अंतिम घंटे में निचले स्तर पर खरीदारी आने से निवेशकों की नुकसान में कमी आई। वही दोपहर में कारोबार करने वाले कारोबारियों का नुकसान 20.16 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
वही दूसरी तरह अमेरिकी बाजार की बात करें, तो डाओ फ्यूचर 1000 अंक गिरा है, जबकि एसएंडपी फ्यूचर्स और नैस्डैक फ्यूचर्स 3 फीसदी लुढ़क गए। इस गिरावट से अमेरिकी निवेशकों को 5 ट्रिलियन डॉलर यानी की 420 लाख करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर लिखा, कि अमेरिका को चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ भारी वित्तीय घाटा है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन पर सरप्लस बढ़ाने का भी आरोप लगाया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के दौरान ही घोषणा कर दी थी कि जब भी वह सरकार में आएंगे, रेसिप्रोकल टैरिफ नीति को लागू कर देंगे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने “रेसिप्रोकल टैरिफ” नीति की घोषणा की और 2 अप्रैल से इसे कई देशों पर लागू कर दिया। इसके तहत अमेरिका अब दूसरे देशों पर वही टैरिफ लगाएगा जो वह देश अमेरिकी सामान पर लगाते हैं। इस फैसले ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है।
नई नीति के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं पूरी तरह से डगमगा गई है, लेकिन भारत के लिए यह स्थिति राहत और अवसर दोनों लेकर आई है। हालांकि, जब प्रति परिवार के हिसाब से देखेंगे तो पता चलेगा कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी की वजह से हर साल भारतीय परिवारों को कुछ हजार रुपये का नुकसान हो सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था पर इस टैरिफ नीति का प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ बम से भारत की जीडीपी में केवल 0.19 फीसदी की कमी आ सकती है, जो प्रति परिवार सालाना 2396 रुपये की आय में गिरावट के बराबर है। इसका कारण भारत की मजबूत घरेलू मांग और वैश्विक निर्यात में उसकी सीमित हिस्सेदारी 2.4 फीसदी है।
भारत अमेरिका का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अप्रैल से फरवरी 2025 के बीच भारत ने अमेरिका को 395.63 अरब डॉलर मूल्य का सामान एक्सपोर्ट किया है। टैरिफ बढ़ने का असर टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि उत्पादों पर जरूर पड़ेगा। इसे ऐसे समझिए कि भारत हर साल 8 अरब डॉलर के कपड़े और 5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद अमेरिका को भेजता है, लेकिन बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों पर ज्यादा टैरिफ लगने से भारतीय उत्पाद अपेक्षाकृत सस्ते रहेंगे और एक्सपोर्ट को नया अवसर मिल सकता है।





