वरुण-2025: भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच नौसैनिक अभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न

नई दिल्ली, 24 मार्च 2025 – भारतीय नौसेना और फ्रांसीसी नौसेना के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास “वरुण-2025″ का सफल समापन हुआ। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सामरिक सहयोग को मजबूत करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करना था।
संयुक्त युद्धाभ्यास और सामरिक रणनीतियां
वरुण-2025 में दोनों नौसेनाओं ने कई बहु-क्षेत्रीय अभ्यास किए, जिनमें समुद्री युद्ध रणनीति, पनडुब्बी रोधी अभियान और हवाई अभियानों को शामिल किया गया। भारतीय नौसेना के मिग-29K और फ्रांसीसी नौसेना के राफेल-एम लड़ाकू विमानों ने संयुक्त रूप से हवाई युद्धाभ्यास कर अपनी युद्धक क्षमताओं का प्रदर्शन किया।
पनडुब्बी रोधी अभियानों के तहत भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों और फ्रांस के पनडुब्बी रोधी फ्रिगेट ने समन्वित तरीके से समुद्री निगरानी और युद्ध रणनीतियों का अभ्यास किया। इन अभियानों का उद्देश्य पानी के भीतर की गतिविधियों पर सतर्कता बढ़ाना और सामरिक क्षमता को सुदृढ़ करना था।
नौसेनाओं का समन्वय और रसद आपूर्ति अभ्यास
अभ्यास के दौरान दोनों नौसेनाओं ने संयुक्त लॉजिस्टिक रीप्लेनिशमेंट ऑपरेशन (रसद पूर्ति अभ्यास) किया, जिसमें नौसेना के टैंकर जहाजों ने समुद्र में तैनात बेड़ों को ईंधन और आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति की। यह अभ्यास यह दर्शाता है कि दोनों देशों की नौसेनाएं युद्ध और संकट के समय में एक-दूसरे की मदद कर सकती हैं।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूती
वरुण-2025 का उद्देश्य केवल सामरिक अभ्यास तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका व्यापक उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखना भी था। इस अभ्यास से भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच संचालन क्षमता में सुधार हुआ और यह सुनिश्चित किया गया कि वे भविष्य में किसी भी संभावित समुद्री खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहें।
साझा प्रतिबद्धता और भविष्य की रणनीतियां
यह अभ्यास भारत और फ्रांस के बीच सुरक्षा साझेदारी की मजबूती को दर्शाता है। दोनों देशों ने इस अवसर पर भविष्य में भी नियमित रूप से इस तरह के युद्धाभ्यास आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनी रहे।
वरुण-2025 का सफल समापन न केवल दोनों नौसेनाओं की सामरिक क्षमता और तालमेल को दर्शाता है, बल्कि यह वैश्विक समुद्री सुरक्षा में भारत और फ्रांस की साझा प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।