कश्मीर के बारामुल्ला में निकाली गई तिरंगा रैली, पहली बार फहराया गया 2.5 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय ध्वज
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रीय गौरव की एक नई लहर दौड़ गई है. सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का हिस्सा ‘तिरंगा रैली’ लोगों को भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में झंडा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
ताजा घटनाक्रम बुधवार को उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला जिले में देखने को मिला, जहां एक ‘तिरंगा रैली’ ने जोर पकड़ लिया, जिसमें प्रतिभागियों द्वारा 2.5 किलोमीटर लंबा एक झंडा लहराया गया. इस विशाल रैली में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, जिसने बारामुल्ला के रफियाबाद इलाके में 2.5 किलोमीटर लंबा एक झंडा लहराकर एक रिकॉर्ड बनाया.
छात्रों सहित सभी क्षेत्रों के लोगों ने इस विशाल तिरंगा रैली में उत्साहपूर्वक भाग लिया. पहले राष्ट्रविरोधी संगठनों से प्रतिशोध की आशंका से घिरे कश्मीर के युवा अब एक मुक्त वातावरण का अनुभव कर रहे हैं. वे अपने घरों, बाजारों और विभिन्न समारोहों के दौरान खुलेआम राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. स्कूलों और कार्यक्रमों में राष्ट्रगान एक आम बात हो गई है, जिसमें किसी तरह का डर या दबाव नहीं होता.
एक स्थानीय अधिकारी ने कहा कि यह नया उत्साह स्कूल जाने वाले छात्रों में विशेष रूप से स्पष्ट है, जो इन रैलियों के दौरान गर्व से राष्ट्रगान गाते हैं. उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन आश्चर्यजनक है, क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज अब जम्मू और कश्मीर के हर बाजार, घर की छत, स्कूल, कॉलेज और कार्यालय की शोभा बढ़ा रहे हैं. यह राष्ट्रीय गौरव और एकता के सामूहिक आलिंगन का प्रतीक है.
इस अवसर पर बोलते हुए डीसी बारामुल्ला मिंगा शेरपा ने कहा कि यह बदलाव अतीत में भय और संकोच से भरे माहौल से बाहर आने का संकेत है, क्योंकि कश्मीर के लोग अब राष्ट्रीय प्रतीकों के माध्यम से अपनी देशभक्ति का खुलकर इजहार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में अब राष्ट्रीय ध्वज फहराना और राष्ट्रगान गाना प्यार और सम्मान के साथ किया जाता है.
उन्होंने कहा कि हालांकि यह कुछ ऐसा था, जिसे लोग शुरू में स्वीकार नहीं कर रहे थे, लेकिन अब हर कोई इस बदलाव को दिल से अपना रहा है और राष्ट्रगान बजाए जाने की सराहना करता है. स्थानीय लोगों में से एक ने बताया कि झंडे फहराना या राष्ट्रीय ध्वज लेकर चलना और राष्ट्रगान बजाना अब केंद्र शासित प्रदेश में हर जगह आम बात हो गई है, चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो या फिर निजी समारोह.