जान हथेली पर रखकर आते हैं स्कूल, न खेल का मैदान; शिकायत पर भी जवाब नहीं…
भाटापारा | शासकीय प्राथमिक शाला नवीन मतादेवालाय भाटापारा के 80 छात्र-छात्राएं जान हथेली पर रखकर स्कूल में पढ़ाई करते हैं। स्कूल में न खेल का मैदान है और न ही स्कूल के बाहर छात्र-छात्राएं खेल सकते हैं। वहीं मौलिक अधिकारों से छात्र छात्राएं कोसो दूर हैं। शिक्षकों के द्वारा उच्च अधिकारियों को लिखित शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन रसूखदारों पर मेहरबान है।
भाटापारा में 52 वर्ष पूर्व सन 1972 में स्थापित हुआ था। शासकीय प्राथमिक शाला नवीन मतादेवालाय भाटापारा का ,न जाने कितने छात्र छात्राए इस स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर उच्च स्थानों पर पदस्थ हैं। लेकिन अब यह स्कूल नाम मात्र का हो गया है, क्योंकि इस स्कूल के छात्र-छात्राएं अपने मौलिक अधिकारों से कोसो दूर हैं।
इस स्कूल में 80 छात्र छात्राओं को न खेलने का मैदान नसीब हैं, न स्कूल के बाहर खेल सकते हैं, क्योंकि स्कूल के बाहर खुले बिजली ट्रांसफार्मर जमीन से कुछ ही दूरी पर लगे हैं। स्कूल के सामने कचरे का अम्बार लगा हुआ रहता है।
स्कूल के सामने दरवाजे पर नाली बनी हुई है। जो खुली है, अगर इन सब से बच गया तो स्कूल के सामने मुख्य सड़क है। सब परेशानियों से बचकर छात्र-छात्राएं स्कूल के चारों और दीवारों में सिमट कर अपने भविष्य गढ़ने को मजबूर हैं।
शिक्षकों का कहना है कि लगातार समस्याओं का लिखित शिकायत की जाती हैं, लेकिन अधिकारी केवल अश्वासन देते हैं। शिक्षको का कहना है कि रसूखदारों ने स्कूल के सामने जब ट्रांसफार्मर लगाया तो तत्कालीन विधायक, एस डी एम, से शिकायत की गई। लेकिन रसूखदारों के सामने किसी की नहीं चली।
राजनीति की गलियारों में आरोप
जब इस संबंध में भाजपा पार्षद पुरसुत्तम यदु से बात की गई तो उन्होंने कहा इस वॉर्ड के सम्बन्धित पार्षद कांग्रेसी हैं जो सफाई के लिए ध्यान नहीं देते हैं। मैं दूसरे वॉर्ड का पार्षद होने के बाद भी छात्र-छात्राओं को गन्दगी से दूर रखने के लिए सफाई करवाता हूं। जब इस सम्बंध में वॉर्ड के सम्बंधित कांग्रेस पार्षद सुशील सबलानी से सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन सम्पर्क नहीं हो पाया।