अपराधछत्तीसगढ

हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फांसी की सजा को बदला आजीवन कारावास में, पत्नी सहित तीन बच्चों को उतारा था मौत के घाट

बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एक प्रसाद की डिवीजन बेंच ने पत्नी और तीन बच्चों के हत्या के आरोपी को मिली फांसी की सजा को रद्द कर दिया। डिवीजन बेंच ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट करते हुए कहा कि, आरोपी जब तक जिंदा रहेगा, जेल में रहेगा। यही उसके लिए कड़ी सजा होगी। मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि, निचली अदालत ने जिस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम मानते हुए आरोपी को मौत की सजा सुनाई है वह इस श्रेणी में नहीं आता। डिवीजन बेंच के अनुसार, यह अपराध जघन्य होने के बावजूद मौत की सजा देने के लिए आवश्यक दुर्लभ में से दुर्लभतम सिद्धांत के कड़े मानदंडों को पूरा नहीं करता।

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पत्नी और बच्चों को उतारा था मौत के घाट  

दरअसल, बिलासपुर जिले के मस्तूरी पुलिस थाना क्षेत्र के ग्राम हिर्री निवासी उमेंद केंवट ने 2 जनवरी 2024 को अपनी पत्नी सुक्ता केंवट और तीन बच्चों खुशी (5), लिसा (3) औक पवन (18 महीने) की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। बताया जा रहा है कि, उमेंद को अपनी पत्नी की वफादारी पर संदेह था इस वजह से ही अक्सर दोनों के बीच विवाद होता रहता था। निचली अदालत में न्यायधीश ने उमेंद को इस जघन्य हत्याकांड के लिए दोषी ठहराया और अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी का मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा कि, हत्या के आरोपी का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है और उसकी उम्र भी कम है। इस वजह से उसमें सुधार की गुंजाइश के साथ ही संभावनाएं भी नजर आ रही हैं। इस टिप्पणी के साथ ही फांसी की सजा को रद्द कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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