Suva Dance Festival: मिट्टी की महक,लोक संस्कृति की झलक,सुआ नृत्य में झूम उठा बिलासपुर
Suva Dance Festival: सुआ नृत्य हमारी अस्मिता का प्रतीक

बिलासपुर के लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और गौरव से जुड़ा भव्य आयोजन देखने को मिला।(Suva Dance Festival) मौका था सुआ नृत्य के समापन का जिसमे प्रदेश के सरायपाली विधायक चातुरी नंद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
छत्तीसगढी परम्परा की नई मिसाल, राज्य स्तरीय सुआ नृत्य महोत्सव सम्पन्न
समापन समारोह के दौरान रविवार को बिलासपुर के लाल बहादुर शास्त्री शाला मैदान में राज्य स्तरीय सुवा नृत्य महोत्सव का आयोजन हुआ, जिसने पूरे माहौल को लोक रंगों से सराबोर कर दिया। एक दिन पहले जब कार्यक्रम शुरू हुआ, तो छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू हर तरफ फैल गई।(Suva Dance Festival) प्रदेशभर से आई 25 सुवा नृत्य टोलियों ने मंच पर अपने पारंपरिक गीतों और नृत्य से ऐसा समां बांधा कि दर्शको की तालियां मैदान में गूंजती रही। कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना से हुई, जिसके बाद मंच पर लोक गीतों और झंकारती तालों की धुन ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विधायक चातुरी नंद ने कहा, सुआ नृत्य हमारी अस्मिता का प्रतीक
कार्यक्रम का माहौल बेहद उत्साहपूर्ण और पारंपरिक रंगों से भरा हुआ था। चातुरी नंद ने कहा यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति और अस्मिता का प्रतीक है।उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी भाषा और परंपरा पर गर्व करें और छत्तीसगढ़ी बोली को आगे बढ़ाएं।
सांस्कृतिक चेतना का संदेश, आने वाली पीढ़ी को सिखाना है,अपनी मिट्टी का मोल,Suva Dance Festival
कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा आज जब छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई-लिखाई घट रही है, तो हमारी लोक परंपराएं भी खतरे में हैं। भाषा और संस्कृति का गहरा रिश्ता है।( Suva Dance Festival) अगर भाषा खो जाएगी, तो हमारी पहचान भी मिट जाएगी। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में गोल बाजार क्षेत्र में जब छत्तीसगढ़ी समाज की बालिकाएं सुवा नृत्य करने पहुंचीं,तो कुछ बाहरी दुकानदारों ने उनका मज़ाक उड़ाया और उन्हें ‘भीख मांगने आई हैं’ कहकर अपमानित किया। इसी घटना ने कलाकारों और आयोजकों को झकझोर दिया और उन्होंने संकल्प लिया कि अब ऐसे कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों को अपनी संस्कृति की पहचान और गरिमा का एहसास कराया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि आने वाले वर्षों में इस कार्यक्रम को और भी भव्य और राज्य स्तर पर आयोजित किया जाएगा,ताकि नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ सके और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को समझे।
राज्य स्तरीय सुआ नृत्य महोत्सव सम्पन्न
मंच पर मौजूद कलाकारों, अतिथियों और दर्शकों ने एक स्वर में संदेश दिया कि सुवा नृत्य जैसे आयोजन सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी पहचान हैं। (Suva Dance Festival) यह सुवा नृत्य महोत्सव ने यह साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में बसती संस्कृति आज भी जिंदा है। और आगे भी जिंदा रहेगी।





