मध्यप्रदेश

MP में बुनियादी सुविधाओें पर विशेष ध्यान, स्वास्थ्य-शिक्षा में नवाचार के साथ संसाधन बढ़ाने पर फोकस

भोपाल। आज से ठीक एक दिन बाद यानी 13 दिसंबर को मोहन सरकार का एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। इस बीच सरकार ने कई नवाचार और बदलाव किए। संकल्प को पूरा करने की जिम्मेदारी थी तो चुनौतियां भी कम नहीं थीं। इन सबमें सरकार ने सबसे अधिक ध्यान बुनियादी सुविधाओं यानी स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था पर दिया।

स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल को सौंपी गई तो गृह विभाग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद अपने पास रखा, जिससे कानून-व्यवस्था पर उनका सीधा नियंत्रण रहे। तीनों विभागों के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई गई हैं।

मध्य प्रदेश में अभी विकास लक्ष्य के अनुरूप बजट की उपलब्धता बड़ी चुनौती है। शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कानून व्यवस्था तीनों को बेहतर के करने के लिए मानव संसाधन की कमी दूर करना, सरकार के लिए सबसे बड़ा काम है।

स्वास्थ्य : पीपीपी मॉडल का प्रयोग, डाक्टरों की कमी दूर करने हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी

सरकार का सबसे बड़ा निर्णय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक करने का रहा। प्रदेश में लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में सबसे बड़ी चुनौती डाक्टरों की कमी है। विशेषज्ञों के 3725 स्वीकृत पदों में से 2374 रिक्त हैं।

इसी तरह चिकित्सा अधिकारी के 5329 में से 1054 पद रिक्त हैं। इसी वर्ष सरकार ने तय किया है कि प्रदेश के अस्पतालों में मानव संसाधन इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आईपीएचएस) के अनुसार होंगे। इसके लिए नियमित, संविदा और आउटसोर्स मिलाकर 46,491 पदों पर भर्ती प्रारंभ की गई है। इनमें 885 पद डाक्टरों के भी हैं।

डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार ने हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का लक्ष्य रखा है। इसी वर्ष तीन नए सरकारी कॉलेज प्रारंभ हुए हैं। पीपीपी से 14 कॉलेज खोलने की तैयारी है। प्रयोग के तौर पर कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मानव संसाधन की उपलब्धता आउटसोर्स पर देने का निर्णय लिया गया है।

संभाग स्तर पर मेडिसिटी बनाने की योजना भी सरकार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर के मामले में प्रदेश सबसे ऊपर है। इसमें कमी लाने की रूपरेखा भी बनी है।

कानून-व्यवस्था : सबसे बड़ा लक्ष्य नक्सलियों का सफाया करना

पिछले एक वर्ष में डॉ. मोहन यादव की सरकार के कई निर्णय साबित करते हैं कि कानून-व्यवस्था उसकी बड़ी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग अपने पास रखा है। प्रदेश में कई बड़ी कार्रवाई कर सरकार ने संदेश दिया है कि लोगों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा।

छतरपुर में थाना घेरने वालों के विरुद्ध की गई कार्रवाई इसका बड़ा उदाहरण है। कानून-व्यवस्था में ढिलाई करने वाले अधिकारियों को हटाने में भी देरी नहीं की गई। साथ ही पुलिसकर्मियों का मनोबल ऊंचा रखने के लिए उनके कल्याण की गतिविधियां भी चर्चा में रहीं।

अभी बड़ी चुनौती पुलिस में रिक्त पदों की पूर्ति और उसकी छवि साफ-सुथरी बनाना है। एक लाख 26 हजार स्वीकृत बल में लगभग एक लाख ही पदस्थ हैं। डॉ. मोहन यादव ने एडीजी स्तर के अधिकारियों को संभागों का प्रभारी बनाया। एक बड़ी पहल, लोक सुरक्षा कानून लागू करने की तैयारी है, जिसमें सीसीटीवी कैमरों से भी संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।

इंदौर, भोपाल के बाद जबलपुर और ग्वालियर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की तैयारी चल रही है। प्रदेश के तीन जिले बालाघाट, मंडला और डिंडौरी नक्सल प्रभावित हैं। इन जिलों में लगभग 75 नक्सली हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश से नक्सली समस्या खत्म करने का लक्ष्य पुलिस को दिया है। इसके लिए अतिरिक्त बल स्वीकृत किया गया है। केंद्र से सीआरपीएफ की दो कंपनियां मांगी हैं।

शिक्षा : 55 कॉलेजों को प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस बनाया

मध्य प्रदेश के 55 कॉलेजों को प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है। यह शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की सबसे बड़ी पहल रही। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नवाचार करते हुए कुलपति को कुलगुरु नाम दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की जगह चार वर्ष का स्नातक (ऑनर्स) पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया। प्रदेश के शासकीय कालेजों में पांच हजार से अधिक और स्कूलों में शिक्षकों के लगभग 80 हजार पद रिक्त हैं। इन पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।

सरकार के सामने बड़ी चुनौती सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की है। इसके लिए सीएम राइज स्कूल स्वीकृत किए गए हैं। पहले चरण में 275 स्कूलों को सीएम राइज बनाया जा रहा है।

प्रदेश के 400 से अधिक सरकारी स्कूलों का पीएमश्री स्कूल के रूप में चयन किया गया है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए दूसरे राज्यों के माडल का भी अध्ययन किया जा रहा है। शिक्षा के लिए प्रदेश सरकार के वर्ष 2024-25 के बजट में 22,600 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।

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