पर्यटन और रोमांच से भरपूर है शिशुपाल पर्वत, महाशिवरात्रि में लगता है विशेष मेला

महासमुंद: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के अंतर्ग्रत पर्यटन और रोमांच से भरपूर सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत नए पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में उभरकर सामने आया हैं। इस पर्वत का ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्त्व भी हैं। मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के पवन पर्व पर यहां विशाल मेले का आयोजन भी होता है। सरायपाली का शिशुपाल पर्वत ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन युवाओं के लिए एक शानदार डेस्टिनेशन हैं। यह स्थान अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता हैं।
राजधानी रायपुर से 157 किलोमीटर और सरायपाली से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह पर्वत पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। शुशुपाल पर्वत को बूढ़ा डोंडर के नाम से भी जाना जाता हैं। शिशुपाल पर्वत समुद्र तल से 900 फीट ऊंचाई पर स्थित हैं। यहां तक पहुँचने के लिए रोमांचक ट्रैकिंग मार्ग हैं, जो रोमांचक ट्रैकिंग का नया अनुभव कराता है। यह पर्यटन स्थल साहसिक गतिविधियों के प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। ट्रैकिंग मार्ग घने जंगलों, चट्टानों और प्राकृतिक पगडंडियों से होकर गुजरता है। पहाड़ के ऊपर एक विशाल मैदान हैं।
यहां से वर्षा ऋतू के दौरान पानी 1000 फीट नीचे गिरकर घोडाधार जलप्रपात का निर्माण करता हैं। यह झरना और उसके चारों तरफ हरियाली एक अद्वितीय दृश्य प्रदान करता हैं। पर्यटन की बढती संभावनाओं को देखते हुए, दो साल पहले पर्यटन मंडल ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की। यहां पहुंचने वाले सैलानियों के लिए आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया है, जिससे उनकी यात्रा सुखद और आरामदायक हो सके।
शिशुपाल पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं। यहां का वातावरण, झरने की आवाज, ठंडी हवा, प्राकृतिक सुंदरता और शांति का संगम पर्यटकों को मानसिक शांति और सुकून का अनुभव कराती हैं। यह स्थान फोटोग्राफीऔर प्रकृति के अद्भुत दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। शिशुपाल पर्वत ना केवल रोमांचक ट्रैकिंग स्थल है, बल्कि इतिहास और प्रकृति का अनोखा संगम हैं। यह स्थान ट्रैकिंग, फोटोग्राफी और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं।
यदि आप प्राकृतिक सुंदरत, रोमांच और इतिहास का अनुभव करना चाहते हैं, तो शिशुपाल पर्वत आपकी सूचि में होना चाहिए। अपनी ऐतिहसिक महत्व और प्राकृतिक आकर्षण के साथ शिशुपाल पर्वत आज के दौर में पर्यटन का नया केंद्र बनते जा रहा है। शिशुपाल पर्वत का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी हैं। इसे लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि शिशुपाल पर्वत का नाम स्थानीय कोलकताओं से जुड़ा हुआ हैं। इस संदर्भ में एक कहानी भी प्रसिद्द है। कहा जाता है कि इस पहाड़ पर कभी राजा शिशुपाल का महल हुआ करता था। यहां का एक गौरवशाली इतिहास रहा है।
पर्वत के ऊपर ही एक अभेद्य दुर्ग, सुरंग एवं शिवमंदिर का निर्माण किया गया है, जिसका भग्नावेश आज भी अतीत की गौरवशाली सुनाती हैं। जब अंग्रेजों ने राजा को घेर लिया, तो उन्होंने वीरता का प्रदर्शन करते हुए अपने घोड़े की आँखों पर पट्टी बांधकर पहाड़ से छलांग लगा दी। इस घटना के कारण इस पर्वत का नाम शिशुपाल पर्वत और यहां स्थित झरने का नाम घोडाधार जलप्रपात पड़ा। यह बारहमासी झरना अत्यधिक ऊंचाई से गिरने के कारण उद्भुत सौंदर्य का अप्रतिमम उदहारण हैं।
शिशुपाल पर्वत पर्यटन स्थल में हर साल मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के अवसर पर भारी संख्या में भक्त दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। इस दौरान मंदिर के आस-पास मेले का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ मेले की चहल-पहल का आनंद लेते हैं। मकर संक्राति पर लगने वाला यह मेला इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम संगम हैं। धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक, साहसिक पर्यटन का अद्भुत अनुभव इसे एक सम्पूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है। यह मेला ना केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी विशेष आक्रषण का केंद्र हैं। यहां लोगों को रोजगार के ने अवसर भी मिल रहे हैं।
इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की पहल शासन द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनों वन विभाग द्वारा पर्यटन और रोजगार की सम्भावनों को देखते हुए स्थल का निरिक्षण भी किया गया। चूँकि आसपास बंसोड़ जाति बहुतायक संख्या में पाए जाते हैं, जो बांस की कलाकृति बनाते हैं। उन्हें भी रोजगार से जोड़ा जा सके। साथ ही एक पर्यटन परिपथ के रूप में भी विक्सित किया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि यहाँ से चंद्रहासिनी देवी मंदिर, गोमर्डा अभ्यारण्य, सिंघोड़ा मंदिर, देवदरहा जलप्रपात, और पर्यटन स्थल और नरसिंहनाथ को जोड़ा जा सकता है। शिशुपाल पर्वत को लेकर हमारी ये जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं और वीडियो को लाइक और शेयर करें, ताकि ऐसे ही प्राचीन धार्मिक और धार्मिक स्थलों से हम आपको अपडेट रख सकें।





