रायपुर में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरा दिन ज्ञान, शोध और संवाद से रहा समृद्ध

रायपुर। शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में चल रही त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी “भारत में लोकतंत्र के 75 वर्ष और भारतीय ज्ञान प्रणाली: बहुविषयी दृष्टिकोण” का दूसरा दिन कई महत्वपूर्ण व्याख्यानों, शोध प्रस्तुतियों और सार्थक चर्चाओं से भरा रहा। आयोजन सचिव डॉ. विनीता अग्रवाल ने बताया कि प्राचार्य प्रो. तपेश चंद्र गुप्ता के मार्गदर्शन में सभी सत्र सुचारू रूप से संपन्न हुए। देश-विदेश से आए विद्वानों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
दिन के पहले सत्र में श्रीलंका के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. एन. राजेश्वरन ने ब्लॉकचेन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन तकनीक की महत्वता पर बात की। उन्होंने कहा कि भारतीय पारंपरिक लेखा-पद्धति आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर दुनिया के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है। इसके बाद प्रो. चित्तरंजन कर ने वेद, उपनिषद, दर्शन, आयुर्वेद और गणित-खगोल विज्ञान जैसी प्राचीन भारतीय परंपराओं को वर्तमान समय से जोड़कर समझाया।
दोपहर के सत्र में आईआईआईटी (नवीन रायपुर) के निदेशक और मशहूर कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रो. ओ. पी. व्यास ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली और डिजिटल मानविकी” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण, संस्कृत का संगणकीय अध्ययन और एआई आधारित अनुवाद कार्य भारतीय ज्ञान को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल मानविकी नई पीढ़ी के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली को और अधिक रोचक और उपयोगी बना रही है।
संगोष्ठी के दौरान अलग-अलग संकायों के तकनीकी सत्रों में 100 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। विषयों में भारतीय न्यायशास्त्र, प्राचीन अर्थव्यवस्था, गणित, रसायन, खगोल, पर्यावरण, आयुर्वेद और सार्वजनिक नीति शामिल रहे। इन सत्रों की अध्यक्षता कई वरिष्ठ विद्वानों ने की, जिन्होंने शोधार्थियों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया।
मंच संचालन डॉ. लखपति पटेल, डॉ. नियति गुरूदवान और डॉ. संपदा बैस ने किया।
प्लेनरी सत्र में सामाजिक कार्यकर्ता श्री विवेक सक्सेना ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020” पर व्याख्यान देते हुए कहा कि यह नीति भारतीय शिक्षा को उसकी जड़ों से जोड़ने का अवसर देती है और विद्यार्थियों के समग्र विकास का मार्ग खोलती है।
दिन के अंत में प्राचार्य प्रो. तपेश चंद्र गुप्ता ने सभी विद्वानों, शोधार्थियों और आयोजन टीम का आभार व्यक्त किया और तीसरे दिन के कार्यक्रमों की रूपरेखा भी साझा की।





