छत्तीसगढ

बारिश से उफान पर नदी-नाले, नक्सल प्रभावित सुकमा में 12 ग्रामीणों का रेस्क्यू

सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित चिंतलनार थाना क्षेत्र अंतर्गत नागाराम में सर्चिंग पर निकले सुरक्षा बल के जवानों ने नाले के दूसरी पार फंसे ग्रामीणों को रस्सी के सहार रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।

बारिश के मौसम में लगातार हो रही बारिश के प्रभाव से अंदरूनी इलाकों में नदी-नाले इन दिनों उफान पर चल रहे हैं। अंदरूनी इलाकों के आदिवासी ग्रामीणों को रोजमर्रा की जरूरत के लिए जोखिम से दो चार होना पड़ता है। जहां एक और बारिश का प्रभाव है तो दूसरी ओर बारिश के दौरान सुरक्षा बलों के द्वारा ऑपरेशन मानसून चलाया जा रहा है।

ऐसे में ऑपरेशन मानसून के तहत नागाराम इलाके में सुरक्षा बल के जवान सर्चिंग ऑपरेशन पर निकले हुए थे। तभी जवानों ने देखा कि कुछ ग्रामीण नाले के उस पार फंसे हुए हैं और नाला पार करने का प्रयास कर रहे हैं तो जवानों ने उन ग्रामीणों की मदद की और रस्सी के जरिए मानव श्रृंखला बनाकर दो दर्जन से अधिक ग्रामीणों को नाला पार कराया।

ग्रामीणों ने इन जवानों का आभार माना

गौरतलब है कि सुकमा जिले के 70 फीसदी भूभाग में बारिश का खास प्रभाव देखने को मिलता है। क्योंकि यह नक्सल प्रभावित होने की वजह से ज्यादातर इलाकों में छोटे-छोटे नालों में पुल-पुलियों का निर्माण नहीं हो पाया है।

ऐसे में हर बारिश के मौसम में ग्रामीणों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतें जैसे राशन वनोपज स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए खुद की जिंदगी दांव पर लगानी होती है। उफनते नाले को पार करना होता है। आज जवान मौके पर मौजूद थे तो जवानों ने इन ग्रामीणों को सुरक्षित उस पार कर दिया। लेकिन आम दिनों में यह जिम्मेदारी ग्रामीणों को खुद ही उठानी पड़ती है। बीते दिनों बीजापुर में ऐसे ही उफनते नाले को पार करते हुए एक ग्रामीण बह गया था। जिसका शव तीन दिन के बाद मिला था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदरूनी इलाकों में ग्रामीण आदिवासियों की जिंदगी कितनी जोखिम भरी होती है।

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