असम में अब काजी नहीं करा पाएंगे शादी, सरकार निकाह का रजिस्ट्रेशन करेगी
गुवाहाटी: बाल विवाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और उसके बाद उसे वैध बनाने के लिए असम सरकार ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को अपनी हरी झंडी दे दी है. विधेयक के अधिनियम बन जाने पर मुस्लिम विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा और साथ ही बाल विवाह का पंजीकरण अवैध माना जाएगा.
राज्य विधानसभा के शरदकालीन सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले असम मंत्रिमंडल ने बुधवार को मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को मंजूरी दे दी. ये यह सुनिश्चित करेगा कि विवाह का पंजीकरण सरकार द्वारा किया जाएगा न कि काजी द्वारा और बाल विवाह का पंजीकरण अवैध होगा. सरकार गुरुवार को शुरू हुए विधानसभा के चालू सत्र के दौरान विधेयक को पेश करने की योजना बना रही है.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘आज की कैबिनेट ने विधानसभा में ‘असम संसदीय मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण विधेयक 2024’ पेश करने को मंजूरी दी. बिल के अनुसार अब से काजी मुस्लिम शादियों का पंजीकरण नहीं कर सकेंगे.
मुस्लिम विवाह एवं तलाक अधिनियम 1935 के तहत काजी को 18 वर्ष से कम आयु के विवाह का पंजीकरण करने का अधिकार था. हालांकि अब से यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगी. विवाह का पंजीकरण काजी के बजाय उप-पंजीयक द्वारा किया जाएगा तथा 18 वर्ष से कम आयु के विवाह का पंजीकरण नहीं किया जाएगा.
विवाह संपन्न कराने की धार्मिक प्रक्रिया पहले की तरह ही रहेगी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर कहा, ‘आज असम कैबिनेट ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को मंजूरी दे दी है. इसमें दो विशेष प्रावधान हैं. अब मुस्लिम विवाहों का पंजीकरण काजी द्वारा नहीं बल्कि सरकार द्वारा किया जाएगा.
बाल विवाह का पंजीकरण अवैध माना जाएगा. चालू विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रिमंडल ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त करने की भी योजना बनाई है. इसके अतिरिक्त राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने पर भी राज्य सरकार विचार कर रही है.