एआई की मदद से क्राइम ट्रेंड पहचानने और अपराध रोकने की तैयारी में पुलिस

भोपाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग पुलिसिंग को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। रायपुर में हुई डीजीपी-आईजी कॉन्फ्रेंस में मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा ने ‘फ्यूचर रेडी पुलिसिंग 2047’ के विजन को प्रस्तुत करते हुए बताया कि एआई की मदद से पुलिस यह अनुमान लगाने में सक्षम होगी कि किस क्षेत्र में, किस समय और किस प्रकार का अपराध होने की आशंका है। पिछले रिकॉर्ड और डेटा का विश्लेषण कर एआई संभावित अपराधों के बारे में पूर्वानुमान दे सकेगा।

प्रजेंटेशन में बताया गया कि एआई ट्रैफिक के समय और वाहनों की संख्या का आकलन कर सड़क दुर्घटना संभावित स्थानों की पहचान भी कर सकता है। इससे पुलिस का फोकस अपराध और दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में केंद्रित हो सकेगा। इसी मॉडल को ‘प्रेडिक्टिव पुलिसिंग’ कहा जा रहा है, जिसे राज्यों में परीक्षण के बाद लागू करने पर विचार हो रहा है।

कान्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। डीजीपी मकवाणा ने ‘कम्युनिटी पुलिसिंग और पब्लिक ट्रस्ट’ पर भी अपने विचार साझा किए और बताया कि पुलिस किस तरह आमजन से बेहतर संवाद स्थापित कर भरोसा बढ़ा सकती है। राज्य के कई जिलों में संवाद और जनसहभागिता के लिए नवाचार किए गए हैं, जिन्हें सम्मेलन में भी प्रस्तुत किया गया।

बैठक में उभरते साइबर अपराध, भीड़ प्रबंधन, वैज्ञानिक अन्वेषण, टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन, साइबर सुरक्षा और नागरिक सहभागिता जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। मकवाणा ने डेटा आधारित निर्णय प्रक्रिया, आपदा प्रबंधन और युवाओं की सकारात्मक भागीदारी पर जोर देते हुए कहा कि आधुनिक पुलिसिंग तभी प्रभावी हो सकती है जब तकनीक और मानवीय संवेदना के बीच संतुलन बना रहे।

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