छत्तीसगढ़ में फिजियोथेरेपी की शिक्षा पर छाया संकट, बिना मान्यता के चल रहे संस्थान
बिलासपुर: इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (आई.ए.पी) की छत्तीसगढ़ शाखा ने शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें फिजियोथैरेपी की बढ़ती आवश्यकता और मान्यता प्राप्त कॉलेजों से शिक्षा प्राप्त चिकित्सकों की आवश्यकता पर जोर दिया गया। संगठन के सदस्यों ने बताया कि फिजियोथेरेपी आज हर घर की आवश्यकता बन गई है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में फिजियोथेरेपी के लिए 5 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम आयुष विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाता है, जिसके लिए नीट परीक्षा अनिवार्य है। बैचलर्स डिग्री के बाद विशेषज्ञता के क्षेत्र में मास्टर्स डिग्री का भी प्रावधान है। सदस्यों ने चिंता व्यक्त की कि कई तकनीकी विश्वविद्यालय और निजी संस्थान बिना मान्यता के फिजियोथैरेपी पाठ्यक्रम चला रहे हैं। हाल ही में रायपुर के एप्पल इंस्टीट्यूट में किए गए स्टिंग ऑपरेशन में यह खुलासा हुआ कि यह संस्थान पिछले चार वर्षों से बिना मान्यता के पाठ्यक्रम चला रहा है। इसके अतिरिक्त कई अन्य संस्थान जैसे ए पी जे इंस्टीट्यूट कांकेर, छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंसेज बिलासपुर और रायगढ़, तथा अन्य संस्थान भी इसी तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं। आई.ए.पी. ने इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय और संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। संगठन ने बताया कि इन गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों के कारण छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है, क्योंकि अप्रशिक्षित लोग फर्जी डिग्रियां लेकर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ कर सकते हैं। संगठन ने यह भी कहा कि वे ऐसे संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं और इस मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से भी शिकायत की है, जिन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। संगठन के सदस्यों ने सभी को चेतावनी दी है कि ऐसे फर्जी डिग्री बांटने वालों के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे ताकि समाज में सही जानकारी और शिक्षा का प्रचार किया जा सके।