फिजिकल थेरेपी से मिलेगी राहत, गलत तरीके से प्रबंधन से हो सकता है करियर पर संकट
खेल में इंजरी होना बेहद आम बात है, या दूसरे शब्दों में कहें तो इंजरी एक स्पोर्ट्समैन का गहना होती है। गलत तकनीक, अत्यधिक कार्यभार, शरीर में पोषक तत्वों की कमी और निर्जलीकरण आदि जैसे कारणों से खिलाड़ियों को इंजरी हो सकती है। इन चोटों से उबरने में खिलाडी फिजियोथेरेपी की सहायता लेते है। ऐसे में फिजियोथेरेपिस्ट पर खिलाड़ियों को फिट रखने की बड़ी जिम्मेदारी होती है। फिजियोथेरेपिस्ट ऋचा शर्मा बताती हैं कि खेल के दौरान लगने वाली चोटों के अलग-अलग स्टेज होते हैं। खिलाड़ियों की तकलीफ के लक्षणों के आधार पर उनकी जांच की जाती है जिसके बाद उनके लिए एक उपचार प्रक्रिया तैयार की जाती है।?
राइस प्रक्रिया से उपचार
सिम्स के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रविकांत दास बताते हैं कि बीते सालों में स्पोर्ट्स इंजरी से जुड़े खिलाड़ी ओपीडी में देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी से जूझ रहे खिलाड़ियों के उपचार की एक पूरी फिजियोथेरेपी प्रक्रिया है जिसमें हम “आर.आई.सी.ई” राइस (रेस्ट, आइस, कम्प्रेशन, एलिवेशन) कहते हैं। स्पोर्ट्स इंजरी के खिलाड़ियों को सबसे पहले रेस्ट की सलाह दी जाती है। इसके बाद आइस से सिकाई, फिर आता है कम्प्रेशन जिसमें क्रैम्प बैंडेज या नी ब्रेसेस का इस्तेमाल कर चोट की जगह को दबाकर रखना और आखिर में एलिवेशन मतलब चोट की जगह को सपोर्ट के माध्यम से उठाकर रखना शामिल है।
बिना एक्सपर्ट की सलाह के न लें दवाई
फिजियोथेरेपिस्ट आशुतोष शर्मा बताते हैं कि खेल-कूद के दौरान लगने वाली चोट को खिलाड़ी अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन ऐसा करना आपके स्पोर्टिंग करियर को बर्बाद भी कर सकता है। बिना फिजिशियन से मिले किसी भी तरह की दवाओं का सेवन करना खिलाड़ियों को आराम देने के बजाय नुकसान पहुंचा सकता है। खिलाड़ियों को प्रॉपर ट्रीटमेंट की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए, इससे खिलाड़ी लंबे समय तक अपना स्पोर्टिंग करियर जारी रख सकते हैं।