Nun Arrest Chhattisgarh : ननों की रिहाई याचिका खारिज, देखिये इस रिपोर्ट में

Nun Arrest Chhattisgarh : क्या सच में धर्मांतरण हुआ या बन गईं राजनीति की शिकार? ननों की गिरफ्तारी से सियासी तूफान

RAIPUR : छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी ने ना सिर्फ कानून व्यवस्था को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है,(Nun Arrest Chhattisgarh) बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल पैदा कर दी है। धर्मांतरण के आरोपों में हुई गिरफ्तारी अब न्यायालय, सरकार और विपक्ष के बीच गहरी बहस का विषय बन गई है।

यह मामला तब गरमाया जब छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में दो ननों को धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, जांच अभी पूरी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी प्रतिक्रिया दी। दूसरी ओर विपक्ष ने गिरफ्तारी को गलत बताते हुए ननों की रिहाई की मांग तेज़ कर दी है।

केरल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने एक वीडियो जारी कर पुलिस कार्रवाई को अनुचित बताया और कहा कि यह मामला गंभीर रूप से धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। भाजपा के कई अन्य नेता भी इस कार्रवाई के खिलाफ सामने आए हैं। केरल भाजपा महासचिव ने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर न्यायोचित हस्तक्षेप की मांग की है।

उपमुख्यमंत्री अरुण साव मामले को बताया संवेदनशील Nun Arrest Chhattisgarh

वहीं, राज्य सरकार ने गिरफ्तारी को उचित ठहराते हुए ननों पर धर्मांतरण का ठोस आरोप लगाया है। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी बयान दिया है। उनका कहना है कि कानून के अनुसार कार्रवाई हुई है और मामला अति संवेदनशील है। इस मामले में अच्छे से कार्रवाई की जाएगी।

सेशन कोर्ट में रिहाई की याचिका खारिच

कानूनी दृष्टिकोण से बात करें तो, लोअर कोर्ट के बाद सेशन कोर्ट ने भी ननों की याचिका खारिज कर दी है। सेशन कोर्ट के जज अनीश दुबे ने कहा कि यह मामला मानव तस्करी से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे सुनने का अधिकार बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट को है। अब पीड़ित पक्ष के वकील राजकुमार तिवारी ने एनआईए कोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। पुलिस को निर्देश दिया गया है कि मानव तस्करी के पहलू की जानकारी केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाए।Nun Arrest Chhattisgarh

इस मामले में जिन तीन युवतियों – कमलेश्वरी प्रधान, ललिता और सुखमति का धर्मांतरण कराए जाने का आरोप लगाया गया है, उनके परिवारजनों ने इसे पूरी तरह नकार दिया है। कमलेश्वरी की मां बुधिया प्रधान ने कहा, “हमने अपनी बेटी को खुद भेजा था, वह नौकरी के लिए जा रही थी। कोई जबरदस्ती नहीं हुई।”

अब सवाल यह है कि जब स्वयं पीड़ितों के परिवार धर्मांतरण से इनकार कर रहे हैं, तो क्या यह मामला सिर्फ राजनीतिक रोटियाँ सेंकने तक ही सीमित रह जाएगा?

क्या यह संवेदनशील मामला धर्म और राजनीति की आग में झुलसता रहेगा, या न्यायिक प्रक्रिया के तहत सच्चाई सामने आएगी? फिलहाल यह तय है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और ज्यादा राजनीतिक रंग लेने वाला है, लेकिन सच क्या है – यह NIA कोर्ट की सुनवाई तय करेगी।Nun Arrest Chhattisgarh

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