मध्यप्रदेश
इंदौर का बीआरटीएस टूटेगा या रहेगा, अब हाईकोर्ट करेगी फैसला
इंदौर। निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक करीब 11.5 किमी लंबा बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) प्रोजेक्ट शहरहित में है या इसे तोड़ना पडेगा, यह फैसला अब इंदौर से नहीं बल्कि जबलपुर से होगा। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बीआरटीएस प्रोजेक्ट को लेकर चल रही दोनों जनहित याचिकाओं को हाई कोर्ट की मुख्यपीठ (जबलपुर) ट्रांसफर कर दिया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधिपति के समक्ष मामले में सुनवाई होना थी लेकिन नंबर ही नहीं आया।
इस मामले में अब तक यह हुआ
- बीआरटीएस प्रोजेक्ट को चुनौती देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने हाई कोर्ट में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं।
- पहली याचिका वर्ष 2013 में और दूसरी वर्ष 2015 में दायर की गई थीं।
- इंदौर में 23 सितंबर 2024 को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने वर्तमान परिस्थिति में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यावहारिकता को जांचने के लिए पांच विशेषज्ञों की समिति गठित करने का आदेश दिया था।
- इस समिति को आठ सप्ताह में अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना थी।
- अगली सुनवाई 22 नवंबर को होना थी, लेकिन इसके पहले ही 18 नवंबर को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इन याचिकाओं को जबलपुर ट्रांसफर कर दिया।
- याचिकाकर्ता कोडवानी ने बताया कि उन्हें याचिकाओं को जबलपुर भेजे जाने की सूचना सोमवार शाम एसएमएस के जरिए मिली।
ये थी कोर्ट की बनाई कमेटी
हाई कोर्ट द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी में वरिष्ठ अभिभाषक अमित अग्रवाल, आईआईएम और आईआईटी के डायरेक्टर द्वारा नामित एक एक विशेषज्ञ शामिल थे। कोर्ट इसके पहले भी वर्ष 2013 में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए कमेटी गठित कर चुकी है।