जंगल छूटा, शहर मिला: रायगढ़ में हाथियों की रेल यात्रा!

रायगढ़ (छत्तीसगढ़): जंगलों की कटाई और प्राकृतिक आवास के क्षरण का असर अब साफ नजर आने लगा है। यही वजह है कि वन्यजीव अब शहरी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं। हाल ही में रायगढ़ जिले में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब जंगली हाथियों का एक बड़ा झुंड खरसिया-धरमजयगढ़ रेल कॉरिडोर के पास पटरियों को पार करता हुआ दिखा।
शावकों ने मचाई हलचल,
इस झुंड में पांच छोटे हाथी शावक भी शामिल थे, जिनकी मासूम हरकतों ने देखने वालों को रोमांचित कर दिया। लेकिन इसके साथ ही ग्रामीणों और वन विभाग की चिंता भी बढ़ गई है।
“हाथी शावकों को देखना जितना प्यारा अनुभव था, उतनी ही चिंता सुरक्षा को लेकर भी बनी रही” – एक स्थानीय ग्रामीण
वन विभाग ने जारी किया अलर्ट
धरमजयगढ़ वनमंडल के आमागांव से बायसी तक ये झुंड पहुंच चुका है
हाथियों की गतिविधि को देखते हुए 6 से अधिक गांवों को अलर्ट किया गया है
वन विभाग और ‘हाथी मित्र दल’ लगातार ट्रैकिंग कर रहे हैं
फिलहाल धरमजयगढ़ वन क्षेत्र में करीब 100 से अधिक हाथियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। इन्हें अलग-अलग समूहों में बांटकर निगरानी की जा रही है।
रेल मार्ग पर दिखे हाथी – संभावित खतरे
हाथियों का रेल पटरियों को पार करना एक गंभीर मामला है क्योंकि:
इससे ट्रेनों की रफ्तार पर असर पड़ सकता है
टकराव की आशंका बनी रहती है
हाथियों और यात्रियों दोनों के लिए यह जानलेवा स्थिति बन सकती है
वन विभाग ने रेलवे विभाग को भी इस संबंध में सूचित किया है और अलर्ट जारी किया गया है, ताकि ट्रेन चालकों को पहले से सतर्क किया जा सके।
समस्या की जड़ – घटते जंगल, बढ़ते खतरे
हाथियों के शहरों की ओर बढ़ने की मुख्य वजह है:
वनों की अंधाधुंध कटाई
खाद्य स्रोतों की कमी
प्राकृतिक आवास का ह्रास
इस असंतुलन के कारण जंगली जानवर अब मानव बस्तियों में आ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
क्या होनी चाहिए आगे की रणनीति?
जंगलों को संरक्षित करना होगा
हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर को सुरक्षित करना होगा
ग्रामीणों को संवेदनशील इलाकों में रहने के लिए प्रशिक्षण और उपकरण देने होंगे
रेलवे मार्गों पर सेंसर सिस्टम और अलर्टिंग टेक्नोलॉजी लगानी होगी





