जानिए आखिर क्यों सब्जी बेच रहे हैं सिंधिया राज परिवार के राजकुमार

भोपाल। नाम में के आगे अगर ‘युवराज’ लगा हो और सरनेम ‘सिंधिया’ हो तो आप उसकी लग्जरी लाइफस्टाइल, उनकी हैसिय, रुतबे का अंदाजा आसानी से लगा लेंगे. ग्वालियर के राजघराने की विरासत जिनके कंधों पर है, रहने के लिए 40000 करोड़ रुपये का जय विलास पैलेस हैं, तिजोरी में अरबों की दौलत है…इन तमाम बातों से ये आंकलन करना मुश्किल नहीं है कि इस युवराज के ठाठ-बाट में कोई कमी नहीं होगी, लेकिन ग्वालियर के राजघराने के युवराज ने पुश्तैनी दौलत और शोहरत को नहीं बल्कि अपने मन के काम को चुना, अपने दम पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. करोड़ों-अरबों की दौलत के बावजूद युवराज महाआर्यमन सिंधिया सब्जी-भाजी बेचने की कंपनी चला रहे हैं.

आमतौर पर युवराज शाही खानदान के रौब में भरे रहते हैं. अथाह दौलत के दम पर उन्हें काम धंधे की कुछ खास फिकर नहीं रहती, लेकिन सिंधिया परिवार के युवराज अलग सोच रखते हैं. उन्होंने पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति, राज परिवार की विरासत से इतर फल-सब्जी बेचने का काम शुरू किया. लोगों ने ताने भी सुनाए कि युवराज महल से सब्जी बेच रहे हैं, लेकिन आर्यमन ने तो ठान रखी थी कि कुछ अपने दम पर करना है.

दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही आर्यमन ने ठान लिया था कि वो अपने दम पर अपना खुद का नाम बनाएंगे. दोस्त के साथ  मिलकर साल 2021 में उन्होंने Myमंडी नाम से स्टार्टअप शुरू किया.  महाआर्यमन Myमंडी के को-फाउंडर हैं. वो अपने इस बिजनेस आइडिया को आगे बढ़ाने में जुटे हैं. शुरुआत में वो खुद सुबह-सुबह मंडी जाकर ताजी फल-सब्जियां खरीदकर उसे अपने ऐप के जरिए लोगों तक पहुंचाते थे.

शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल से करने के बाद उन्होंने गेल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. उनके पास बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और सॉफ्टबैंक जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर वो अब खुद का कारोबार खड़ा कर रहे हैं.

महाआर्यमन की Myमंडी ऑनलाइन एग्रीगेटर है, जो फल और सब्जियों की सप्लाई करती है. ये स्टार्टअप थोक में सब्जी-भाजी खरीदकर लोगों तक पहुंचाती है. कंपनी ताजी सब्जियों और फलों के लिए पुश कार्टर कम्युनिटी को उपलब्ध कराती है. उनके इस स्टार्टअप के साथ किसान जुड़े हैं. अपने दोस्त सूर्यांश राणा के साथ मिलकर कृषि स्टार्टअप कंपनी MYमंडी की शुरुआत की.  अब तक पांच शहरों में मौजूद ये मंडी धीरे-धीरे अपना दायरा बढ़ा रही है.

आर्यमन ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें अपने इस बिजनेस से इतना प्यार है कि वो खुद सामान खरीदने मंडी पहुंच जाते हैं. युवराज अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरा कवर कर लेते हैं. माईमंडी ने अब तक 3 फंडिंग राउंड किए हैं. सितंबर 2023 में कंपनी ने 1.2 मिलियन डॉलर के वैल्यूएशन पर फंड रेज किया था. महाआर्यमन का कहना है कि वो आठ करोड़ रुपये निवेश जुटाने की योजना पर काम कर रहे हैं, इसके लिए कंपनी का वैल्यूएशन करीब 150 करोड़ रुपये आंका गया है.  रतन टाटा ने भी इनके स्टार्टअप में निवेश किया.

महाआर्यमन सिंधिया अपने पिता के लिए 13 साल की उम्र से ही चुनाव प्रचार और जनसभाओं में हिस्सा लेते रहे हैं. लोगों से मिलना-जुलना, उनके लिए काम करना उन्हें पसंद है. महाआर्यमन सिंधिया सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय है. उनके साथ सेल्फी लेने के लिए लोगों की लाइन लग जाती है.

ग्वालियर के युवराज महाआर्यमन सिंधिया परिवार के साथ जयविलास महल में रहते हैं.  साल 1874 में बने जय विलास पैलेस को बनाने में उस समय में 1.1 करोड़ रुपये का खर्च आया था. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक आज के समय में इस महल की कीमत करीब 4,000 करोड़ रुपये आंकी गई है

सिंधिया के महल जयविलास पैलेस के दरबार हॉल के अंदरूनी हिस्से को सोने और गिल्ट की सजावट की कई है. महल के अंदर 560 किलो सोने का इस्तेमाल कर उसकी सजावट की गई है. सोने से सजे इस महल को बनाने में 12 साल लग गए और 146 साल पहले इसे बनाने में 1 करोड़ रुपये का खर्च आया था.

महल के दरबार हॉल की छत पर दुनिया का सबसे भारी झूमर लगाया गया है. इस झूमर का वजन साढ़े तीन हजार किलो है. इस झूमर को लटकाने से पहले कारीगरों ने छत की मजबूती को जांचने के लिए छत पर दस हाथियों को चढ़ाया था.  दस दिन तक छत पर हाथी चहलकदमी करते रहे. जिसके बाद उस झूमर को छत से टांगा गया.  इस झूमर को देखने लोग आते हैं.  ये दुनिया का सबसे ज्यादा वजन वाला झूमर है.

जयविलास पैलेस का शाही डायनिंग हाल राजा-महराजाओं की आलीशान जीवनशैली को दिखाता है. महल में भोजन के दौरान परोसने के लिए चांदी की खूबसूरत ट्रेन है. डायनिंग टेबल पर पटरी लगी है.महल में खाने के लिए सोने-चांदी के बर्तन हैं.  स्टाफ के लिए अलग कमरें, गार्जन, पोलो गाउंडर, स्विमिंग पूल, जिम जैसी तमाम लग्जरी सुविधाओं से लेकर राजशी विरासत  मौजूदा है.

युवराज को लोग खूब पसंद करते हैं. राजसी परिवार के ताल्लुक रखने के बाद भी उन्होंने अपने दम पर काम शुरू किया. उन्होंने खुद की काबिलियत साबित करने की कोशिश की.

वो अक्सर लोगों के बीच पहुंच जाते हैं. अपने काम के बारे में पूछते हैं. कभी ग्राहकों से तो कभी थोक विक्रेताओं से फीडबैक लेते हैं.

 

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