जानिए कैसे बनता है 10 रु. का सिक्का, क्या होता है इसमें खास…

नई दिल्ली। आप सभी ने 10 रु. का सिक्का तो देखा ही होगा और कई बार इस्तेमाल भी किया होगा…लेकिन क्या आप जानते हैं कि 10 रु. का सिक्का कैसे और किस धातु से बनता है..नहीं, तो हम बताते हैं.. दरअसल भारतीय मुद्रा में ₹10 का अन्य सिक्कों से थोड़ा अलग होता है.. और इसमें दो अलग- अलग रंग दिखाई देते हैं… इसकी रिंग का बाहरी हिस्सा GOLD और अंदर का हिस्सा SILVER रंग का होता है.. इसलिए इसे द्विधात्विक सिक्का भी कहा जाता है… इसका बाहरी हिस्सा 92% तांबा, 6% एल्युमिनियम, और 2% निकेल से बनता है… और इस मिश्रण को एल्युमिनियम कांस्य कहा जाता है…
10 रुपये का सिक्का द्विधात्विक सिक्का कहलाता है क्योंकि यह दो अलग-अलग धातुओं के मेल से बनाया जाता है. इसके बीच के हिस्से में कूप्रो-निकेल धातु का उपयोग किया जाता है. जबकि, बाहरी पीले हिस्से को एल्युमिनियम कांस्य से बनाया जाता है.
इस धातु को 10 रुपये के सिक्के में इस्तेमाल करने के पीछे कई कारण हैं:
- टिकाऊपन: यह मिश्रधातु ज्यादा समय तक टिकती है और जल्दी खराब नहीं होती.
- गलत सिक्कों से बचाव: द्विधात्विक डिज़ाइन सिक्के को नकली बनाने से बचाता है.
- धातु की पहचान: सिक्कों में अलग-अलग धातुएं उपयोग करने से नकली सिक्कों को पहचानना आसान हो जाता है.
- सुरक्षा विशेषता: यह धातु चुंबकीय गुणों के कारण मेटल डिटेक्टर द्वारा आसानी से पहचानी जा सकती है.
कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि 10 रुपये के सिक्के को बनाने में सरकार को कितना खर्च आता है? रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 रुपये का एक सिक्का बनाने में करीब 5.54 रुपये खर्च आता है. सरकार 1 रुपये के सिक्के पर 1.11 रुपये, 2 रुपये के सिक्के पर 1.28 रुपये और 5 रुपये के सिक्के पर 3.69 रुपये खर्च करती है.
भारतीय मुद्रा के सिक्के भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशन में भारतीय प्रतिभूति मुद्रण एवं खनन निगम द्वारा बनाए जाते हैं. भारत में सिक्के ढालने के लिए चार प्रमुख टकसाल हैं: मुंबई (महाराष्ट्र), हैदराबाद (तेलंगाना), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), नोएडा (उत्तर प्रदेश). ₹10 का सिक्का सिर्फ दिखने में ही अनोखा नहीं है, बल्कि इसे बनाने में इस्तेमाल की गई धातुएं और इसकी संरचना भी इसे खास बनाती हैं. इसके पीले हिस्से में एल्युमिनियम कांस्य का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, ताकि यह ज्यादा टिकाऊ और सुरक्षित हो.





