“बिहार में कन्हैया कुमार बनाम अखिलेश प्रसाद सिंह: कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में तकरार, 2025 के चुनावों पर होगा असर”

बिहार में कांग्रेस विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आंतरिक संघर्षों का सामना कर रही है। इस विवाद के केंद्र में दो प्रमुख नेता कन्हैया कुमार और अखिलेश प्रसाद सिंह हैं, जो दोनों भूमिहार समुदाय से आते हैं। कांग्रेस कन्हैया कुमार के जरिए बिहार में अपनी सियासी स्थिति को फिर से मजबूत करने की उम्मीद लगा रही है, लेकिन अखिलेश प्रसाद सिंह, जो राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, कन्हैया के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
अखिलेश प्रसाद सिंह, जो पहले आरजेडी से जुड़े थे और लालू यादव के करीबी माने जाते हैं, लंबे समय से बिहार कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, कन्हैया कुमार, जो वामपंथी राजनीति से कांग्रेस में आए हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं, युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। कन्हैया का बिहार में सक्रिय होना अखिलेश के समर्थकों को नागवार गुजर रहा है। उनका यह बढ़ता प्रभाव पार्टी में विभाजन की स्थिति पैदा कर रहा है। कन्हैया कुमार द्वारा बेरोज़गारी और पलायन जैसे मुद्दों पर 16 मार्च से पश्चिम चंपारण से पदयात्रा शुरू करने की योजना बनाई गई है, जो उन्हें युवाओं के बीच और भी लोकप्रिय बना सकती है।
कांग्रेस के भीतर यह संघर्ष केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का मामला नहीं है, बल्कि यह पार्टी के आरजेडी के साथ रिश्ते और बिहार में पार्टी की भविष्यवाणी पर भी असर डाल सकता है। जहां अखिलेश प्रसाद सिंह ने हमेशा कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं कन्हैया कुमार का बढ़ता प्रभाव कांग्रेस को बिहार में स्वायत्तता की ओर मोड़ सकता है।
2025 के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस की आंतरिक राजनीति के इस संघर्ष का पार्टी की संभावनाओं पर बड़ा असर हो सकता है। कन्हैया कुमार और अखिलेश प्रसाद सिंह के बीच का यह शक्ति संघर्ष बिहार में कांग्रेस के भविष्य का निर्धारण करने में अहम भूमिका निभा सकता है।





