पटना:कन्हैया IN, अखिलेश OUT: बिहार में कांग्रेस का नया सियासी समीकरण

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने संगठनात्मक बदलाव करते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर दलित समुदाय से आने वाले विधायक राजेश कुमार को कमान सौंपी है। इस बदलाव के साथ कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से दूरी बनाने की रणनीति अपनाई है।
कन्हैया कुमार की एंट्री और कांग्रेस की नई दिशा
फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार को बिहार में सक्रिय कर कांग्रेस ने एक नया दांव चला है। 16 मार्च से वह ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा निकाल रहे हैं, जिससे युवाओं को जोड़ने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस के इस कदम को RJD से अलग होकर आत्मनिर्भर बनने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
RJD से दूरी की ओर बढ़ती कांग्रेस
नए बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावुरु ने लालू यादव या तेजस्वी यादव से मुलाकात नहीं की, जिससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस अब RJD की परछाई से बाहर निकलने की कोशिश में है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे अब किसी की ‘B टीम’ नहीं बल्कि ‘A टीम’ की तरह चुनाव लड़ेंगे।
दलित और सवर्ण वोटों पर फोकस
कांग्रेस ने दलित समुदाय को साधने के लिए राजेश कुमार को अध्यक्ष बनाया है, जबकि सवर्ण वोटों को बनाए रखने के लिए कन्हैया कुमार को आगे किया गया है। इससे कांग्रेस को एक नया सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला मिल सकता है।
RJD और कांग्रेस के बीच खटास बढ़ी
अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाने और कन्हैया कुमार को प्रमोट करने के कांग्रेस के फैसले से RJD असहज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
कांग्रेस की इस नई रणनीति से बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या यह बदलाव कांग्रेस को राज्य में फिर से मजबूत कर पाएगा?