2047 तक दोगुनी हो जाएगी भारत की खाद्य मांग, खेती की जमीन घटने से बढ़ी चिंता

नई दिल्ली। आने वाले समय में भारत को खाद्य सुरक्षा के बड़े संकट से जूझना पड़ सकता है। आईसीएआर से जुड़े नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च (NIAP) के ताजा विश्लेषण में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2047 तक देश की खाद्य मांग मौजूदा स्तर से दोगुनी से ज्यादा हो जाएगी, लेकिन दूसरी ओर खेती की जमीन लगातार घटती जा रही है।
फलों और पशु उत्पादों की मांग तीन से चार गुना बढ़ेगी
रिपोर्ट के अनुसार, खास तौर पर फलों, दूध और मांस जैसे पशु उत्पादों की मांग तीन से चार गुना तक बढ़ सकती है। जहां फलों की मांग हर साल करीब 3 फीसदी की दर से बढ़ेगी और 2047 तक यह 233 मिलियन टन तक पहुंच सकती है, वहीं सब्जियों की मांग भी 2.3 फीसदी सालाना की दर से बढ़कर 365 मिलियन टन हो सकती है।
दालों की डिमांड दोगुनी, तेल-चीनी की खपत में भी बढ़ोतरी
विश्लेषण में बताया गया है कि दालों की मांग दोगुनी होकर 49 मिलियन टन तक पहुंच सकती है। वहीं, खाद्य तेलों की खपत में 50 प्रतिशत और चीनी की मांग में 29 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
खेती की जमीन और जोत आकार में भारी गिरावट
रिपोर्ट में सबसे बड़ी चिंता खेती की जमीन को लेकर जताई गई है। कृषि भूमि घटकर 2047 तक 176 मिलियन हेक्टेयर रह जाने की संभावना है, जो अभी करीब 180 मिलियन हेक्टेयर है। इसके अलावा प्रति किसान जोत का आकार भी घटकर 1 हेक्टेयर से सिर्फ 0.6 हेक्टेयर रह जाएगा।
इस गिरावट के चलते किसानों पर बोझ बढ़ेगा और उत्पादन को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि यदि अभी से फसलों की गुणवत्ता, सिंचाई तकनीक और भंडारण जैसी सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में भारत को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ सकता है।





