छत्तीसगढ
दिवाली पर ड्राई फ्रूट्स की बढ़ती मांग, गिफ्ट हैंपर और डिजाइनर गिफ्ट्स पैक की धूम..
बिलासपुर। इस दिवाली, मिठाइयों के साथ-साथ ड्राई फ्रूट्स की मांग में भी भारी इज़ाफा हुआ है। गोलबाजार, शनिचरी बाजार, तेलीपारा, कोतवाली चौक और व्यापार विहार के प्रमुख बाजारों में ड्राई फ्रूट्स के आकर्षक गिफ्ट पैक ने लोगों का ध्यान खींचा है। लोगों की बदलती पसंद के चलते इस बार दुकानदारों ने कई नए प्रकार के पैकेट्स सजाए हैं, जिनमें सामान्य ड्राई फ्रूट्स के साथ-साथ एग्जॉटिक ड्राई फ्रूट्स जैसे ब्लूबेरी और क्रैनबेरी भी शामिल किए गए हैं।
दिवाली पर 200 क्विंटल ड्राई फ्रूट्स की खपत
व्यपार विहार स्थित ड्राई फ्रूट्स के थोक व्यापारियों ने बताया कि दिवाली के अवसर पर बिलासपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में ड्राई फ्रूट्स की खपत तेजी से बढ़ रही है। गोलबाजार और कोतवाली चौक जैसे प्रमुख बाजारों में बड़ी संख्या में ग्राहक अपने प्रियजनों के। लिए ड्राई फ्रूट्स के गिफ्ट पैक खरीद रहे हैं। इस सीजन में अनुमान है कि सभी तरह के 200 क्विंटल से अधिक ड्राई फ्रूट्स की बिक्री हो सकती है
आकर्षक ड्राई फ्रूट्स गिफ्ट पैक की बढ़ी मांग
तेलीपारा और शनिचरी बाजार में इस बार आकर्षक गिफ्ट पैक में ड्राई फ्रूट्स की बिक्री तेजी से हो रही है। लोगों में रंग-बिरंगे और विशेष पैकेट्स में पैक किए गए ड्राई फ्रूट्स का खास आकर्षण है। इन गिफ्ट पैक में सामान्य ड्राई फ्रूट्स के साथ अब एग्जॉटिक विकल्प जैसे ब्लूबेरी और क्रैनबेरी की मांग भी बढ़ी है, जिन्हें खासकर दिवाली के लिए तैयार किया गया है। ड्राई फ्रूट वाला गिफ्ट पैक 300 से लेकर 5 हज़ार रूपए तक के बिक रहे है।
दाम और एग्जॉटिक ड्राई फ्रूट्स का ट्रेंड
बिलासपुर में ड्राई फ्रूट्स के गिफ्ट पैक की कीमतें 300 रुपये से 5000 रुपये तक हैं। वहीं, एग्जॉटिक ड्राई फ्रूट्स जैसे ब्लूबेरी, क्रैनबेरी के शामिल होने से इनकी मांग और बढ़ गई है। चॉकलेट गिफ्ट पैक भी 50 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध हैं। ग्राहकों के बजट के अनुसार, हर प्रकार के गिफ्ट पैक उपलब्ध हैं, जिससे लोग अपने पसंदीदा उपहार चुन सकते हैं।ड्राई फ्रूट के दाम 1. काजू – 240 से 280 रूपए पाव 2. बादाम – 200 से 240 रूपए पाव 3. पिस्ता – 260 से 300 रूपए पाव4. अंजीर – 280 से 350 रूपए पाव5. मखाना – 280 से 400 रूपए पाव6. खजूर – 200 रूपए पाव7. किसमिस – 70 से 80 रूपए पाववर्जन मेवे की डि\मांड साल भर बनी रहती है लेकिन पर्व के आते ही इसकी डिमांड में वृद्धि देखने को मिलती है।