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सोनिया से दूरी, मोदी के साथ मीटिंग… ममता दीदी कौन सी सियासी खिचड़ी पका रही हैं?

पहले सोनिया गांधी से दूरी की बात और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग की घोषणा… 24 घंटे में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के 2 दांव ने इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. वो भी ऐसे वक्त में, जब संसद का बजट सत्र चल रहा है और बजट के लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस विपक्षी इंडिया गठबंधन की प्रमुख घटक दल है, जिसके पास लोकसभा में 30 और राज्यसभा में 11 सांसद हैं.

नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगी ममता दीदी

ममता बनर्जी ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि 27 जुलाई को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री शामिल नहीं होंगी. ममता ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा है कि वो इस बैठक में शामिल होंगी और वहीं पर बजट को लेकर अपना विरोध दर्ज करवाएंगी.

इंडिया गठबंधन के 5 मुख्यमंत्रियों ने अब तक नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है. इनमें कांग्रेस शासित हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक और डीएमके शासित तमिलनाडु के साथ-साथ आप शासित पंजाब के मुख्यमंत्री हैं. इन मुख्यमंत्रियों का कहना है कि जब बजट में हमारे राज्यों के लिए कुछ दिया ही नहीं गया है, तो हम बैठक में क्यों जाएं? ममता का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग से भी बैठक प्रस्तावित है. यह बैठक नीति आयोग की मीटिंग से पहले हो सकती है.

सोनिया से दूरी, राहुल-खरगे से मुलाकात पर सस्पेंस

कोलकाता में पत्रकारों ने जब ममता बनर्जी से सवाल पूछा कि क्या दिल्ली दौरे पर वे सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगी? इस पर बंगाल की सीएम ने कहा कि हर बार सबसे मिलना जरूरी नहीं है. सोनिया गांधी से आखिरी बार जुलाई 2023 में ममता बनर्जी की मुलाकात हुई थी.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से भी अब तक ममता बनर्जी की कोई प्रस्तावित बैठक नहीं है. ममता हाल ही में लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से बुलाई गई इंडिया गठबंधन के दलों की बैठक में भी शामिल नहीं हुई थीं.

दिलचस्प बात है कि ममता बनर्जी अखिलेश यादव से इंडिया गठबंधन के बड़े दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मेल-मुलाकात कर रही हैं. 21 जुलाई को ममता ने अखिलेश को कोलकाता भी इनवाइट किया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि ममता दीदी कौन सी खिचड़ी पका रही हैं?

कांग्रेस को लेकर ममता दीदी के मन में क्या है?

लोकसभा चुनाव के दौरान से ही ममता बनर्जी कांग्रेस से नाराज चल रही हैं. ममता शुरुआत में इंडिया गठबंधन की एक्टिव मेंबर थी, लेकिन चुनाव के बिगुल बजते ही उन्होंने बंगाल में एकला चलो का नारा दे दिया. तृणमूल कांग्रेस का कहना था कि अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस हाईकमान ने पावर दे रखा है और अधीर बंगाल में गठबंधन नहीं चाहते हैं.

लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों के अकेले लड़ने की वजह से तृणमूल को पुरुलिया, रायगंज और मालदा उत्तर सीट पर नुकसान का सामना करना पड़ा. तीनों ही सीटों पर हार के मार्जिन से कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले थे.

लोकसभा में हार के बाद कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया, जिसके बाद दीदी को सबकुछ ठीक होने की उम्मीद थी, लेकिन पिछले एक महीने से बंगाल कांग्रेस की कार्यकारिणी को लेकर सस्पेंस बरकरार है.

कहा जा रहा है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर अधीर के करीबी नेपाल महतो सबसे बड़े दावेदार हैं. इसके अलावा हाल ही में प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी में एकला चलो का प्रस्ताव पास किया गया है.

बैठक में शामिल नेताओं का कहना था कि उत्तर बंगाल को छोड़कर बाकी हिस्सों में बीजेपी मजबती से टक्कर नहीं दे पा रही है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस ममता का बेहतर विकल्प हो सकती है. इस बैठक के बाद कांग्रेस हाईकमान को फाइनल फैसला करना है, लेकिन हाईकमान की ओर से इस पर चुप्पी साध ली गई है.

ममता चाहती हैं कि जब तक बंगाल को लेकर कांग्रेस पूरी तस्वीर साफ नहीं करती है, तब तक वो दूरी बनाकर ही रहेगी. ममता के इस रणनीति को जानकार प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में भी देख रहे हैं.

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