CMCL के डीजीएम सहित नौ पर अपराध दर्ज, बिल भुगतान के नाम पर लेते थे आठ प्रतिशत कमीशन…
रायपुर। 22 सौ करोड़ के शराब घोटाले में नए तथ्य सामने आए हैं। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने जांच में पाया कि छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड (CMCL) बिल भुगतान करने के नाम पर आठ प्रतिशत कमीशन लेती थी। ईडी की टीम ने इस संबंध में सीएमसीएल के तत्कालीन डीजीएम सहित नौ लोगों के खिलाफ ईओडब्लू/एसीबी में एफआईआर दर्ज करवाई है। जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है।
दर्ज एफआइआर के अनुसार सीएमसीएल के तत्कालीन डीजीएम नवीन प्रताप सिंह तोमर और सीएमसीएल के बीआर लोहिया, अजय लोहिया के अलावा अभिषेक कुमार सिंह, तिजाउराम निर्मलकर, नीरज कुमार, देवांश देवांगन, जितेंद्र कुमार निर्मलकर, लोकेश्वर प्रसाद सिन्हा सहित अन्य के खिलाफ ईओडब्ल्यू में मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज किया गया। ईडी द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक उनकी टीम ने दो लोगों को 28 लाख 80 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा है। सीएमसीएल के अफसर मैन पावर उपलब्ध कराने वाली कंपनी से बिल भुगतान करने के एवज में रिश्वत लेते थे।
ईडी ने पिछले वर्ष रिश्वत देते पकड़ा था
पिछले वर्ष 29 नवंबर को सीएमसीएल दफ्तर में छापामार कार्रवाई के दौरान अभिषेक कुमार सिंह, तिजाउराम देवांश को जितेंद्र कुमार को रिश्वत देते पकड़ा था। तिजाउराम और अभिषेक मेसर्स ईगल हंटर साल्यूशंस लिमिटेड के कर्मचारी हैं। दोनों व्यक्तिय सीएमसीएल को मैन पावर उपलब्ध कराने का काम करते थे। अभिषेक ने पूछताछ में ईडी को बताया कि उसने अपने कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी नीरज कुमार के कहने पर सीएमसीएल के अफसर को रिश्वत देने आए थे।
नवीन के कहने पर ली जाती थी रिश्वत
जिन लोगों को रिश्वत देते और लेते पकड़ा था, दोनों निजी क्षेत्र से जुड़े लोग हैं। रिश्वत लेने के आरोपित देवांश देवांगन और जितेंद्र से पूछताछ की तो दोनों ने बताया कि उन्हें उनके रियल एस्टेट बास लोकेश्वर प्रसाद सिंहा, मेसर्स फार्च्यून बिल्डकान के मालिक द्वारा नकदी एकत्र करने के निर्देश दिए गए थे। लोकेश से पूछताछ में राजफाश हुआ है कि उसे नवीन प्रताप सिंह तोमर ने नकदी एकत्र करने के लिए कहा था।
कमीशन का पूरा खेल ऐसे चला
दर्ज रिपोर्ट के अनुसार लोकेश ने बताया कि सीएमसीएल के तत्कालीन डीजीएम के पास उसने अपने कर्मचारी जितेंद्र का नंबर साझा किया था। मेसर्स ईगल हंटर्स के नीरज ने ईडी को बताया कि नवीन प्रताप सिंह तोमर मैन पावर उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से बिल भुगतान करने के एवज में रिश्वत लेते थे। नवनीत प्रताप सिंह बिल भुगतान करने के एवज में आठ प्रतिशत की दर से रिश्वत की मांग करते थे।