सीपीएम का 24वां महाधिवेशन संपन्न, पूंजीवाद के खिलाफ समाजवाद को बताया विकल्प

बिलासपुर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का 24वां अखिल भारतीय महाधिवेशन तमिलनाडु के मदुरई में 2 से 6 अप्रैल के बीच संपन्न हुआ। इस बार महाधिवेशन की थीम थी – “एकता और सुदृढ़ीकरण”, जिसमें “पूंजीवाद का एक ही विकल्प समाजवाद” पर जोर दिया गया।
महाधिवेशन से लौटकर बिलासपुर प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता के दौरान सीपीएम नेताओं कामरेड वकील भारती, रंगा वेणी, सुखाऊ निषाद और सैय्यद शौकत अली ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज दुनिया गंभीर संकटों से जूझ रही है – जैसे आर्थिक असमानता, युद्ध, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन और धार्मिक कट्टरता। इन सबके खिलाफ एक मजबूत जन आंदोलन की जरूरत है।
कामरेड वकील भारती ने भारतीय जनता पार्टी पर नफरत की राजनीति फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि माकपा किसी भी तरह की हिंसक विचारधारा का समर्थन नहीं करती। धर्म के नाम पर राजनीति देश को तोड़ती है, इसे रोकने के लिए वामपंथी ताकतों को एकजुट होना होगा।
महाधिवेशन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई – श्रमिकों का शोषण, कृषि संकट, महंगाई और बेरोजगारी पर गहरी चिंता जताई गई। साथ ही यह तय किया गया कि इन मुद्दों पर जन संघर्ष को और तेज किया जाएगा। पार्टी ने 20 मई को प्रस्तावित मजदूर हड़ताल को अपना समर्थन देने का ऐलान भी किया।
इस महाधिवेशन में पार्टी के नए संगठनात्मक ढांचे का गठन हुआ – 85 सदस्यीय केंद्रीय समिति, 18 सदस्यीय पोलिट ब्यूरो और 6 सदस्यीय केंद्रीय कंट्रोल कमीशन बनाए गए। कामरेड एम. ए. बेबी को सर्वसम्मति से पार्टी का नया महासचिव चुना गया।
सम्मेलन के समापन पर एक विशाल रैली और आमसभा का आयोजन किया गया, जिसमें महासचिव समेत पार्टी की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने भी भाग लिया। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि मौजूदा चुनौतियों से लड़ने के लिए संघर्ष और एकजुटता ही रास्ता है।





