कांग्रेस बिहार में BJP से टकराने को तैयार, हिंदुत्व की काट के लिए राहुल गांधी का नया दांव

पटना, 3 अप्रैल 2025: बिहार की राजनीति में कांग्रेस अब बीजेपी से मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। राहुल गांधी ने मंडल बनाम कमंडल की राजनीति को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में नई रणनीति अपनाई है। इसी क्रम में कांग्रेस ने बिहार के 40 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की है, जिसमें जातिगत संतुलन बनाए रखने की कोशिश की गई है।
जातिगत गणित पर जोर
राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना और आरक्षण की 50% सीमा तोड़ने की मांग कर रहे हैं। अब कांग्रेस संगठन में इस दिशा में कदम उठाने के संकेत भी दिखने लगे हैं। बिहार में घोषित 40 जिला अध्यक्षों की सूची में जातिगत समीकरण कुछ इस प्रकार है—
- सवर्ण: 14 (भूमिहार 6, ब्राह्मण 4, राजपूत 3, कायस्थ 1)
- दलित: 5 (पासवान 3, रविदासी 2)
- अल्पसंख्यक: 7 (मुसलमान 6, सिख 1)
- ओबीसी: 10 (यादव 5, कुर्मी 2, कुशवाहा 3)
- अति पिछड़ा: 3 (धानुक 1, नोनिया 1, कहार 1)
- वैश्य: 1
इस जातिगत संतुलन को देखकर स्पष्ट होता है कि कांग्रेस ने सामाजिक न्याय की राजनीति को अपनाने का प्रयास किया है।
बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे को चुनौती
कांग्रेस के इस फैसले को बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे की काट के रूप में देखा जा रहा है। राहुल गांधी का नारा – “जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” – संगठन के इस नए स्वरूप में साफ झलक रहा है।
कांग्रेस का यह कदम 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले सियासी समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अब बीजेपी के हिंदुत्व के मुकाबले जातिगत समीकरण को प्रमुख हथियार बनाकर चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रही है।




