छत्तीसगढ़ की खनन नीति से आर्थिक और औद्योगिक विकास को नई दिशा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पारदर्शी खनन नीति और ई-नीलामी की पहल से राज्य के खनिज राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश ने खनन क्षेत्र में कई नई रणनीतियों को अपनाया है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक और औद्योगिक विकास के नए आयाम खुले हैं।

प्रदेश में खनिज राजस्व में 30 गुना वृद्धि हुई है, जो 2023-24 में 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। 2024-25 के पहले 11 महीनों में ही 11,581 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जा चुका है। राज्य में अब तक 44 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक ई-नीलामी की जा चुकी है, जिसमें चूना पत्थर, लौह अयस्क, बॉक्साइट, स्वर्ण और लिथियम जैसे खनिज शामिल हैं।

लीथिएम ब्लॉक की नीलामी सफलतापूर्वक

साथ ही, भारत सरकार की राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन के तहत राज्य में लिथियम, स्वर्ण, निकल, क्रोमियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में लिथियम के भंडार मिलने की संभावना जताई जा रही है और कोरबा के कटघोरा लिथियम ब्लॉक की नीलामी भी सफलतापूर्वक की गई है।

पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हुए खनन क्षेत्र को पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीके से संचालित करने के लिए सरकार ने सेटेलाइट इमेजरी और माइनिंग सर्विलियेंस सिस्टम का उपयोग किया है। साथ ही, खनिज राजस्व का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश के सामाजिक विकास पर खर्च किया जा रहा है। 2024-25 में 1,673 करोड़ रुपये की निधि से 9,362 विकास कार्यों को मंजूरी दी गई है, जिससे खनन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार की पारदर्शी नीतियों और कुशल प्रशासनिक प्रयासों से छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में उभर रहा है और आने वाले वर्षों में यह और भी मजबूत होगा।

पर्यावरण संतुलन और पारदर्शी निगरानी प्रणाली

पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए खनन क्षेत्र को अधिक पारदर्शी और वैज्ञानिक रूप से संचालित करने के लिए सरकार ने कई नई पहल की हैं। सेटेलाइट इमेजरी और माइनिंग सर्विलियेंस सिस्टम के माध्यम से अवैध खनन की निगरानी की जा रही है। गौण खनिज खानों में सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक पद्धति से खनन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। राज्य सरकार बेहतर कार्य करने वाले पट्टेधारियों को ‘स्टार रेटिंग’ प्रणाली के तहत प्रोत्साहित कर रही है।

खनिज राजस्व से सामाजिक विकास और बुनियादी सुविधाओं में निवेश

खनिज राजस्व का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश के सामाजिक विकास में निवेश किया जा रहा है। जिला खनिज संस्थान न्यास के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 1,673 करोड़ रुपये की निधि प्राप्त हुई है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और कौशल विकास सहित 9,362 विकास कार्यों को मंजूरी दी गई। इससे खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में महत्वपूर्ण सुधार हो रहा है।

खनिज अन्वेषण कार्यों का विस्तार और नई परियोजनाएँ

राज्य सरकार ने चूना पत्थर, बॉक्साइट, लौह अयस्क और ग्रेफाइट सहित कुल 13 खनिज परियोजनाओं में अन्वेषण कार्य शुरू किया है। प्रारंभिक सर्वेक्षणों में चूना पत्थर के 283 मिलियन टन, लौह अयस्क के 67 मिलियन टन और बॉक्साइट के 3 लाख टन भंडार का अनुमान लगाया गया है। स्वर्ण, ग्रेफाइट और ग्लूकोनाइट जैसे खनिजों की खोज भी की जा रही है, जिससे राज्य के खनन क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।

इसके अलावा, सूरजपुर जिले के जाजावल क्षेत्र में यूरेनियम ब्लॉक के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। कोल बेड मीथेन पूर्ववर्ती कोरिया जिले में वेदांता लिमि. एवं ऑईलमैक्स को पेट्रोलियम अन्वेषण लायसेंस स्वीकृत किया गया है। मैंगनीज ओर इंडिया लि. (मोईल) द्वारा सीएमडीसी के साथ प्रदेश में प्रथम बार बलरामपुर क्षेत्र में खनिज मैगनीज का भंडार चिन्हित किया गया है।

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