छत्तीसगढ़ सरकार का जनजातीय संस्कृति संरक्षण पर बड़ा कदम, अखरा विकास योजना सहित कई योजनाओं से आदिवासी समाज को मिलेगा लाभ

छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जनजातीय समाज की संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा स्थलों को सुरक्षित और विकसित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें कर रही है। अखरा विकास योजना के तहत आदिवासी गांवों के पारंपरिक पूजा स्थलों, नृत्य स्थलों और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का काम किया जा रहा है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 2 करोड़ 50 लाख रुपए का बजट रखा गया है।

राज्य में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और जनजातीय गौरव दिवस को बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जा रहा है। पिछले वर्ष रायपुर में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बैगा, गुनिया, सिरहा और हथजोड़ परंपराओं को बढ़ावा देने का संकल्प लिया था, जो अब तेजी से पूरा हो रहा है।

सांस्कृतिक दलों को मजबूत करने के लिए सरकार प्रति दल 10 हजार रुपए की सहायता दे रही है। पिछले दो सालों में 1180 सांस्कृतिक दलों को इसका लाभ मिला है। इसी तरह आदिवासी पूजा स्थलों (देवगुड़ी) के निर्माण और मरम्मत के लिए 5 लाख रुपए तक की मदद दी जा रही है। अब तक 800 देवगुड़ियों के लिए 15 करोड़ 97 लाख रुपए स्वीकृत किए जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री आदिवासी परम सम्मान निधि योजना के तहत हर ग्राम पंचायत को पारंपरिक त्योहारों और सांस्कृतिक दस्तावेजीकरण के लिए 10 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है। दो वर्षों में 11,266 पंचायतों को इसका लाभ मिला है।

20 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंबिकापुर आकर जनजातीय वीरों की गाथाओं को याद किया, जो प्रदेश के लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देशभर में जनजातीय समाज के विकास के लिए बड़े कदम उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए क्रमशः 24,000 करोड़ और 80,000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री साय ने बैगा, गुनिया और सिरहा समुदाय के लोगों को वर्ष में 5 हजार रुपए देने की घोषणा की है। साथ ही जनजातीय शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित करने और अखरा निर्माण के कार्यों को भी प्राथमिकता दी जा रही है।

सरकार का यह प्रयास जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के कल्याण के लिए पहले की तुलना में पाँच गुना अधिक बजट खर्च किया जा रहा है, जिससे जनजातीय क्षेत्रों का विकास तेजी से बढ़ रहा है।

इन सभी योजनाओं का उद्देश्य है – जनजातीय समाज का सम्मान, संस्कृति का संरक्षण और गांवों का सर्वांगीण विकास।

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