कैश कांड: जस्टिस यशवंत वर्मा शुक्रवार को समिति के सामने पेश हो सकते हैं

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी जलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति के सामने शुक्रवार को पेश हो सकते हैं। इस मामले में वह अपने बचाव में चार आधार पेश कर सकते हैं। उन्होंने आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वकीलों से सलाह भी ली है।

क्या है पूरा मामला?

14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना सामने आई थी। इस दौरान वहां जली हुई नकदी की गड्डियां मिलीं, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। इस घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो हाई कोर्ट के जजों की है।

सूत्रों के अनुसार, जस्टिस वर्मा इस मामले में चार आधारों पर अपना बचाव कर सकते हैं:

1. घटना के दिन उनकी गैरमौजूदगी: जस्टिस वर्मा का कहना है कि घटना के समय वह दिल्ली में नहीं थे। वह मध्य प्रदेश गए हुए थे और 15 मार्च की शाम को लौटे।

2. स्टाफ को कोई जानकारी नहीं थी: उन्होंने कहा कि जब वे लौटे, तो स्टाफ ने उन्हें इस तरह की कोई घटना की जानकारी नहीं दी।

3. वीडियो पर सवाल: उन्होंने कहा कि वीडियो में जिस तरह जले हुए नोट दिखाए गए, वैसा कुछ उनके स्टाफ ने नहीं देखा।

4. साजिश का आरोप: उनका कहना है कि अगर उनके या उनके परिवार के पैसे जले भी हैं, तो इसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है। यह पूरी घटना किसी साजिश का हिस्सा लगती है।

इस मामले के बाद जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर प्रस्तावित है, जिसे लेकर बार निकायों ने विरोध जताया है। बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना से मुलाकात कर कॉलेजियम की सिफारिश वापस लेने की मांग की है।

एफआईआर दर्ज न होने पर सवाल

बार निकायों ने इस मामले में अब तक कोई एफआईआर दर्ज न होने पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह गंभीर मामला है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। साथ ही, सबूतों से कथित छेड़छाड़ का भी मुद्दा उठाया गया है।

अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की समिति जस्टिस वर्मा के दावों और इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाती है।

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