नई दिल्लीः तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज 56 साल के हो गए। जेल में बंद होने की वजह से केजरीवाल आज अपना जन्मदिन परिवार और पार्टी नेताओं के साथ नहीं मना पाएंगे। 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के भिवानी जिले में जन्मे केजरीवाल बचपन से ही मेधावी थे। केजरीवाल ने स्कूल के बाद ही पहले प्रयास में आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी। 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
बचपन से ही मेधावी थे केजरीवाल
इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वे 1989 में टाटा स्टील कंपनी में ज्वाइन किया। यहां पर उन्होंने तीन साल तक काम किया। साल 1992 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा में एक अधिकारी के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने 2006 में यह नौकरी भी छोड़ दी। इसके बाद वह सामाजिक कार्यों में लग गए। जन सूचना के अधिकार को उन्होंने जन-जन तक पहुंचाया।
पिछले साल केजरीवाल ने जन्मदिन पर क्या कहा था
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले साल 16 अगस्त को अपने जन्मदिन पर अपने पुराने दोस्त मनीष सिसोदिया को याद किया था। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था ‘उन्हें मनीष सिसोदिया की कमी खल रही है। आइए हम सब मिलकर आज यह संकल्प लें कि हम भारत में जन्म लेने वाले हर बच्चे को बेहतरीन शिक्षा देने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। इससे एक मजबूत भारत की नींव रखी जा सकेगी। इससे भारत को नंबर 1 बनाने का हमारा सपना पूरा होगा। इससे मनीष भी खुश होंगे’। इस साल जन्म दिन पर केजरीवाल जेल में बंद हैं तो मनीष सिसोदिया जेल के बाहर।
अन्ना आंदोलन के कारण सुर्खियों में आए केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल आंदोलन से सुर्खियों में आए। वे पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, प्रशांत भूषण और अन्य के साथ टीम अन्ना का हिस्सा थे। साल 2014 में दिल्ली के राम लीला मैदान में अन्ना आंदोलन से देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बना। इसके बाद उन्होंने राजनीति में उतरने का फैसला किया।
अन्ना आंदोलन के कारण सुर्खियों में आए केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल आंदोलन से सुर्खियों में आए। वे पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, प्रशांत भूषण और अन्य के साथ टीम अन्ना का हिस्सा थे। साल 2014 में दिल्ली के राम लीला मैदान में अन्ना आंदोलन से देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बना। इसके बाद उन्होंने राजनीति में उतरने का फैसला किया।