बिहार चुनाव 2025: इफ्तार पार्टियों के जरिए मुस्लिम वोटरों को साधने की कवायद

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इस बार चुनावी माहौल के बीच रमजान का महीना भी है, जिसे देखते हुए राजनीतिक दलों में इफ्तार पार्टियों का आयोजन हो रहा है। इन पार्टियों का उद्देश्य सिर्फ सद्भावना बढ़ाना नहीं, बल्कि मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ खींचना भी है।
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बॉयकॉट
रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। लेकिन, वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू के रुख से नाराज कई प्रमुख मुस्लिम संगठन इस दावत में शामिल नहीं हुए। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इमारत-ए-शरिया, जमीयत उलेमा हिंद, जमीयत अहले हदीस, जमात-ए-इस्लामी हिंद, खानकाह मुजीबिया और खानकाह रहमानी जैसी तंजीमें शामिल हैं।
इन संगठनों ने नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा कि सिर्फ इफ्तार पार्टी के आयोजन से सद्भावना और भरोसा नहीं बनता, बल्कि यह ठोस नीति और उपायों से ही संभव है। नीतीश कुमार के लिए यह बॉयकॉट एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
लालू और चिराग की इफ्तार पार्टी पर निगाहें
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बाद सोमवार को पटना में दो बड़ी इफ्तार पार्टियां हुईं। पहली, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की, जो पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर आयोजित हुई। इसमें लालू, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, और तेजप्रताप यादव के साथ कई महत्वपूर्ण नेता शामिल होने की संभावना थी।
दूसरी, एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की, जिन्होंने भी अपनी पार्टी की ओर से इफ्तार दावत दी। हालांकि, चिराग पासवान के भी वक्फ बिल को लेकर जेडीयू की तरह ही विचार हैं, इसलिए उनकी इफ्तार पार्टी में भी मुस्लिम संगठनों के शामिल न होने की संभावना जताई जा रही थी।
मुस्लिम वोटरों की राजनीतिक ताकत
बिहार में लगभग 17.7% मुस्लिम आबादी है, जो कुल 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर निर्णायक स्थिति में है। इनमें 11 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाता 40% से ज्यादा हैं। इसके अलावा, 7 सीटों पर 30% और 29 सीटों पर 20% से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटर किसी भी राजनीतिक दल की जीत या हार तय कर सकते हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 24 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, जिनमें से आरजेडी के 11, कांग्रेस के 6 और जेडीयू के 5 विधायक शामिल थे।
वहीं, 2020 के चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर 19 रह गई। इसमें आरजेडी के 8, कांग्रेस के 4, भाकपा (माले) का 1 और बसपा का 1 मुस्लिम विधायक शामिल था। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी 5 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया।
बिहार के बड़े मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए नीतीश कुमार, लालू यादव, चिराग पासवान और यहां तक कि प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी भी रणनीति बना रहे हैं। इफ्तार पार्टियों के आयोजन के माध्यम से मुस्लिम समाज को अपने पक्ष में करने की कोशिशें की जा रही हैं।
आगामी चुनाव में किसका इफ्तार पार्टी का दांव सफल होता है और कौन मुस्लिम वोटरों का भरोसा जीतता है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।





