बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाने पर महागठबंधन में फंसा पेच, सीट बंटवारे पर भी मतभेद

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन लगातार बैठकों में व्यस्त है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। आरजेडी तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा घोषित करना चाहती है, जबकि कांग्रेस बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ने की रणनीति पर कायम है।

हाल ही में पटना में हुई बैठक में महागठबंधन ने कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने का फैसला लिया है, जिसकी अगुवाई खुद तेजस्वी यादव करेंगे। इसमें सभी घटक दलों के सदस्य शामिल होंगे। एलजेपी (रामविलास) प्रमुख पशुपति पारस भी अब महागठबंधन के साथ आ गए हैं, जबकि मुकेश सहनी पहले से गठबंधन में मजबूती से टिके हुए हैं।

कांग्रेस की रणनीति क्या है?

कांग्रेस की रणनीति 2024 के लोकसभा चुनाव जैसी ही है—बिना किसी सीएम चेहरे के चुनाव लड़ना। पार्टी को लगता है कि अगर तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा घोषित किया गया, तो यादव वोट के अलावा अन्य जातियों, खासकर दलित और सवर्ण मतदाताओं का समर्थन नहीं मिल पाएगा। कांग्रेस नेतृत्व ने यह बात तेजस्वी यादव को साफ तौर पर दिल्ली में हुई बैठक में बता दी है।

कांग्रेस का कहना है कि चुनाव के बाद अगर महागठबंधन को बहुमत मिलता है, और आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनती है, तो तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन चुनाव से पहले उनके नाम की घोषणा करना जोखिम भरा हो सकता है।

तेजस्वी का जवाब

तेजस्वी यादव ने सीएम चेहरे पर बनी अनिश्चितता को लेकर कहा है कि “सब कुछ एक ही दिन में नहीं होता, थोड़ा इंतजार कीजिए। महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और जो भी फैसला होगा, सभी दल मिलकर लेंगे।”

महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर भी आरजेडी और कांग्रेस के बीच मतभेद हैं। पिछली बार कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, लेकिन वह सिर्फ 19 जीत पाई थी। आरजेडी का मानना है कि कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन सरकार नहीं बना पाया, इसलिए इस बार उसे कम सीटें दी जानी चाहिए।

कांग्रेस चाहती है कि भले सीटें कम मिलें, लेकिन वह अपनी पसंद की सीटों पर चुनाव लड़े ताकि जीत की संभावना ज्यादा हो। इसी के चलते कांग्रेस ने कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को भी मैदान में उतारने की तैयारी की है, जिससे आरजेडी पर दबाव बना सके।

जातीय समीकरण भी है अहम

बिहार में जातीय समीकरण हमेशा चुनावी सफलता की कुंजी रहा है। इस बार भी यादव, दलित, महादलित, सवर्ण, कुशवाहा और मुस्लिम वोटों को ध्यान में रखकर सीटों का बंटवारा किया जाएगा। कांग्रेस मुस्लिम-दलित और सवर्ण मतदाताओं पर फोकस कर रही है, वहीं मुकेश सहनी निषाद समुदाय को जोड़ने की कोशिश में हैं।

फिलहाल महागठबंधन में तेजस्वी यादव के नाम पर सस्पेंस बना हुआ है और सीट बंटवारे पर भी रस्साकशी जारी है। सभी दल अपनी-अपनी रणनीति और समीकरण के हिसाब से पत्ते चल रहे हैं। अब देखना यह होगा कि चुनाव से पहले महागठबंधन किस फॉर्मूले पर एकजुट होता है और क्या तेजस्वी यादव को आखिरकार सीएम चेहरा घोषित किया जाता है या नहीं।

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