भारत बायोटेक ने ओरल कॉलरा वैक्सीन लॉन्च की, अब नहीं रहेगी टीके के कमी
हैदराबाद: भारत बायोटेक ने नेक्स्ट जनरेशन की ओरल कॉलरा वैक्सीन हिलकॉल (Hillchol) लॉन्च की. इसके साथ ही कंपनी ने ग्लोबल शॉर्टेज को दूर करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार भी किया. भारत बायोटेक कॉलरा (हैजा) से सबसे अधिक प्रभावित देशों के लिए कॉलरा को सुलभ और सस्ती बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
भारत बायोटेक ने मंगलवार को कहा कि उसके द्वारा कॉलरा वैक्सीन के तीसरे चरण के टेस्ट से यह साबित हो गया है कि यह सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित है. कंपनी ने कहा कि वह 100 मिलियन खुराक का उत्पादन करने की क्षमता के साथ वैक्सीन लॉन्च कर रही है. कंपनी हिलकॉल के माध्यम से हर साल 40 मिलियन डोज की ग्लोबल शॉर्टेज को पूरा करने की योजना बना रही है.
हिलकॉल की सेफ्टी और एफिशिएंसी को लेकर प्री-क्लीनिक, पहले और दूसरे फेज में कठोर परीक्षण किया गया. एक मल्टी स्टेज क्लीनिकल एवोलूशन प्रोसेस के जरिए तीसरे फेज में वैक्सीन की सुरक्षा, प्रतिरक्षात्मकता और मौजूदा OCVs की तुलना में गैर-हीनता की पुष्टि हुई. इसके बाद माना गया कि इसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
सालाना 40 मिलियन डोज की कमी
वर्तमान में केवल एक ही कंपनी दुनिया भर में OCV की सप्लाई करती है, जिसके परिणामस्वरूप सालाना 40 मिलियन डोज की कमी होती है. ओरल कॉलरा वैक्सीन की इस शॉर्टेज को कम करने के लिए, भारत बायोटेक ने हैदराबाद और भुवनेश्वर में बड़े पैमाने पर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं,.
गौरतलब है कि हैजा की रोकथाम और उपचार उपलब्ध होने के बाद भी वैश्विक स्तर पर 2021 से इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2023 की शुरुआत से इस साल मार्च तक, 31 देशों में हैजा के 8,24,479 मामले सामने आई और 5900 मौतें दर्ज की गईं.
हैजा से लड़ने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा’
इसको लेकर भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ कृष्णा एला ने कहा, “वैक्सीन हैजा के प्रकोप को रोकने, सीमित करने और नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है. हैदराबाद और भुवनेश्वर में हमारी cGMP प्रोडक्शन सुविधाएं इस ओरल हैजा वैक्सीन के लिए हमारी उत्पादन और आपूर्ति क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी, जिससे वैश्विक स्तर पर हैजा से लड़ने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा.”
डॉ एला ने कहा, “मैं इस नए टीके को विकसित करने के लिए भारत बायोटेक की टीम, हमारे भागीदारों को बधाई देता हूं और CDSCO, भारत सरकार और WHO जिनेवा को उनके नियामक मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं.”