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बस्तर ओलंपिक को मोदी के “मन की बात” में मिली विशेष जगह

पीएम मोदी ने मन की बात के इस एपिसोड में महाकुंभ और बस्तर ओलंपिक की चर्चा कर देशवासियों को एकता, विविधता और खेलों के महत्व का संदेश दिया। महाकुंभ के विशाल और विविधतापूर्ण आयोजन ने भारतीय संस्कृति को एक नई ऊंचाई दी है, जबकि बस्तर ओलंपिक ने खेलों के माध्यम से क्षेत्रीय एकता और बदलाव की दिशा को बढ़ावा दिया है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 में अपनी रेडियो वार्ता मन की बात के 117वें एपिसोड में देशवासियों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने दो महत्वपूर्ण विषयों पर बात की – महाकुंभ की तैयारियां और बस्तर ओलंपिक की सफलता। पीएम मोदी ने इन दोनों के माध्यम से देश की एकता, संस्कृति और खेलों के प्रति उत्साह को साझा किया।

1. महाकुंभ की भव्यता और विविधता

पीएम मोदी ने सबसे पहले प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 13 जनवरी से शुरू होने वाला महाकुंभ देश की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और यह केवल विशालता में ही नहीं, बल्कि विविधता में भी अद्वितीय है। उन्होंने कहा, “महाकुंभ की विशेषता इसकी विविधता में है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आस्था और एकता का प्रतीक है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जब उन्होंने हाल ही में प्रयागराज का दौरा किया, तो हेलिकॉप्टर से कुंभ क्षेत्र को देखा और उसकी भव्यता देखकर उनका दिल प्रसन्न हो गया। उन्होंने कहा कि इस बार की तैयारियां विशेष रूप से जबरदस्त हैं, और यह आयोजन पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति को दर्शाने का एक बेहतरीन अवसर होगा।

पीएम मोदी ने महाकुंभ को भी एकता का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को भी उजागर करता है। यह लाखों श्रद्धालुओं का मिलाजुला उत्सव है, जो देशभर से आते हैं और इस आयोजन में भाग लेकर एकजुटता का संदेश देते हैं।

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के आयोजन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन की सराहना की, जिन्होंने इस बार की तैयारियों को लेकर शानदार काम किया है। पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ में शामिल होना, न केवल आस्था का सवाल है, बल्कि यह भारतीय समाज की साझी संस्कृति और विश्वास को भी दर्शाता है।

 

2. बस्तर ओलंपिक की नई क्रांति

पीएम मोदी ने मन की बात में बस्तर ओलंपिक की भी सराहना की। बस्तर, जो पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था, अब खेलों और युवा सशक्तिकरण का केंद्र बन गया है। पीएम मोदी ने बस्तर ओलंपिक के पहले संस्करण को एक नई क्रांति के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा, “पहली बार बस्तर ओलंपिक में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि हमारे युवाओं के संकल्प और मेहनत की गौरव गाथा है।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि बस्तर ओलंपिक का आयोजन न केवल खेलों के लिए था, बल्कि इसने क्षेत्रीय एकता और सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक स्थापित किया है। इससे बस्तर के लोग और विशेष रूप से युवा, खेलों के प्रति अधिक जागरूक और प्रेरित हुए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि यह बस्तर में एक नई ऊर्जा और सकारात्मक परिवर्तन का संकेत है।

खेलों से एकता और विकास की दिशा

पीएम मोदी ने बस्तर ओलंपिक के माध्यम से यह संदेश भी दिया कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि यह एकता, समृद्धि और विकास का प्रतीक भी हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक ने यह साबित किया कि जब लोग एकजुट होते हैं और सामूहिक प्रयास करते हैं, तो कोई भी चुनौती कठिन नहीं होती।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बस्तर ओलंपिक ने न केवल खेलों के स्तर को बढ़ाया, बल्कि यहां के युवाओं में आत्मविश्वास और संघर्ष की भावना भी पैदा की। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से स्थानीय स्तर पर खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और इससे देशभर में खेलों की संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा।

 

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