बस्तर: लाल आतंक से लेकर टूरिज्म तक की उड़ान

कभी डर का नाम था बस्तर, अब बन रहा है पर्यटन का चमकता सितारा
छत्तीसगढ़ का बस्तर अब लाल आतंक नहीं, बल्कि हरियाली, संस्कृति और पर्यटन की नई कहानी लिखने को तैयार है।
सरकार के ऐलान के बाद बस्तर को अब उद्योग का दर्जा मिल गया है, जिससे यहाँ टूरिज़्म सेक्टर को नई पहचान और रफ्तार मिलने वाली है।
बदलाव की बयार: नया बस्तर, नई उम्मीदें
जहां कभी नक्सलवाद की गूंज थी, आज वहां एडवेंचर स्पोर्ट्स, होम स्टे, और ग्लास ब्रिज जैसे आकर्षण बसने वाले हैं।
बस्तर को अब पर्यटन का नया हॉटस्पॉट बनाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है
चित्रकोट जलप्रपात और तीरथगढ़ वॉटरफॉल होंगे और भी सुंदर
बनेंगे ग्लास ब्रिज, कैनोपी वॉक, और होम स्टे विलेज
सुधर रही हैं सड़कें, बिजली और इंटरनेट की कनेक्टिविटी
एडवेंचर का नया केंद्र
बस्तर अब सिर्फ देखने का नहीं, जीने का अनुभव देने वाला बन रहा है। पैराग्लाइडिंग रैपेलिंग, ज़िपलाइनिंग, इको-टूरिज्म ट्रेल्स
इन सभी रोमांचक गतिविधियों के ज़रिए बस्तर रोमांच प्रेमियों के लिए ड्रीम डेस्टिनेशन बन जाएगा।
ब्रांडिंग और अंतरराष्ट्रीय पहचान
छत्तीसगढ़ सरकार बस्तर को ब्रांड बनाने के लिए अब:
FAM ट्रिप्स (ट्रैवल एजेंट्स के लिए)
इंटरनेशनल रोड शो
बड़े एयरपोर्ट्स व रेलवे स्टेशनों पर प्रमोशन
बस्तर दशहरा को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लाना
स्थानीय लोगों के लिए सुनहरा मौका
सरकार की होम स्टे नीति के तहत स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटन स्थल में बदल सकेंगे।
इससे उन्हें मिलेगा:
स्थानीय खानपान से कमाई
सांस्कृतिक प्रदर्शन से पहचान
रोज़गार और आर्थिक मज़बूती
अंतरराष्ट्रीय मान्यता – धुड़मारास गाँव की कहानी
बस्तर के धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र ने “दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों” में शामिल किया है।
यह दर्शाता है कि बस्तर ने पर्यटन के क्षेत्र में सिर्फ शुरुआत ही नहीं की, बल्कि वैश्विक मंच पर कदम भी रख दिया है।
कनेक्टिविटी का विस्तार
सरकार बस्तर को रायपुर, विशाखापत्तनम, हैदराबाद और भुवनेश्वर जैसे शहरों से बेहतर रेल कनेक्टिविटी देने की योजना पर काम कर रही है, जिससे आने-जाने की सुविधा भी आसान हो जाएगी।
चुनौतियां भी कम नहीं…
जहां एक ओर ये पहल सराहनीय है, वहीं कुछ चिंताएं भी हैं:
नक्सलवाद: सबसे बड़ी रुकावट दशकों से बस्तर नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है।
सुरक्षा, स्थिरता और जन विश्वास निर्माण सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
प्राकृतिक संसाधनों का दबाव
टूरिज़्म के नाम पर अगर बिना योजना के विकास हुआ, तो जंगल, वन्यजीव और स्थानीय संस्कृति को नुकसान हो सकता है।
सस्टेनेबल टूरिज़्म मॉडल ज़रूरी है।
नया बस्तर – सबके लिए, लेकिन समझदारी से
बस्तर का कायाकल्प होते देखना गर्व की बात है। लेकिन जरूरी है कि यह विकास स्थानीय समुदाय की भागीदारी, प्राकृतिक संरक्षण और सुरक्षा के साथ हो।
बस्तर अब सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि भारत के पुनर्निर्माण की एक मिसाल बन सकता है





