दिल्ली चुनाव में हार के बाद AAP में बड़ा बदलाव, सौरभ भारद्वाज बने नए अध्यक्ष

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। पार्टी की सर्वोच्च इकाई पीएसी की बैठक अरविंद केजरीवाल के घर पर हुई, जिसमें वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में विधानसभा चुनाव की हार पर चर्चा की गई और संगठन में नेताओं की जिम्मेदारी में बदलाव किया गया।
सबसे बड़ा बदलाव दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हुआ है। अब गोपाल राय की जगह सौरभ भारद्वाज को दिल्ली का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। सौरभ भारद्वाज दिल्ली की ग्रेटर कैलाश सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार बीजेपी की शिखा राय से हार गए थे। सौरभ भारद्वाज अपनी आक्रामक पॉलिटिक्स और हिंदुत्व के मुद्दों को काउंटर करने की काबिलियत के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने इलाके के मंदिरों में हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन कर लोगों के बीच खास पहचान बनाई है। केजरीवाल ने दिल्ली में ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए भी यह कदम उठाया है क्योंकि सौरभ भारद्वाज ब्राह्मण समाज से आते हैं।
चार राज्यों में नई जिम्मेदारी, पंजाब में सिसोदिया को कमान
दिल्ली की हार के बाद आम आदमी पार्टी अब अपना राष्ट्रीय रुतबा बनाए रखने की कोशिश में जुट गई है। चार राज्यों में नए प्रभारी और सहप्रभारी नियुक्त किए गए हैं। पंजाब, गुजरात और गोवा में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी ने सभी राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
पंजाब में मनीष सिसोदिया को प्रभारी और सत्येंद्र जैन को सहप्रभारी बनाया गया है। दोनों ही नेता केजरीवाल के करीबी माने जाते हैं। मनीष सिसोदिया पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते हैं और उनका चेहरा जनता के बीच काफी लोकप्रिय है। सत्येंद्र जैन को मोहल्ला क्लीनिक की सफलता का श्रेय दिया जाता है। इसलिए पंजाब में सत्ता बनाए रखने के लिए इन दोनों को जिम्मेदारी दी गई है।
गुजरात में गोपाल राय को प्रभारी और दुर्गेश पाठक को सहप्रभारी नियुक्त किया गया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में AAP ने गुजरात में पांच सीटें जीती थीं और 13% वोट हासिल किए थे। अब पार्टी 2027 के चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
गोवा में पंकज गुप्ता को प्रभारी बनाया गया है और उनके साथ दीपक सिंगला, आभाष चंदेला और अंकुश नारंग को सहप्रभारी नियुक्त किया गया है। गोवा के 2022 के चुनावों में AAP ने 2 सीटें जीती थीं और कांग्रेस के वोट बैंक को कमजोर कर दिया था।
आम आदमी पार्टी के इन बदलावों को अरविंद केजरीवाल के मिशन 2027 के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर अपने रुतबे को बनाए रखना चुनौती बन गया है। अब देखना होगा कि ये बदलाव AAP के लिए कितने फायदेमंद साबित होते हैं।





