छत्तीसगढ

Action of Railway Management: रेलवे प्रबंधन ने कड़ाके की ठण्ड में लोगों को किया बेघर, अतिक्रमण पर कार्रवाई के दौरान कई परिवार हुए बेघर

बिलासपुर। ठंड के इस कठोर मौसम में रेलवे प्रशासन की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने कई परिवारों को बेसहारा कर दिया है। सालों से झोपड़ियों में गुजर-बसर कर रहे ये गरीब लोग अब ठंड की ठिठुरती रातों में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। तोरवा थाने और आईडब्ल्यू कार्यालय के बीच अमृत भारत मिशन के तहत रेलवे ने यह कार्रवाई की है। हालांकि यहां एक नया कार्यालय बनाए जाने की बात कही जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि इन उजड़े हुए परिवारों का क्या होगा? छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह ठंड मौत जैसी साबित हो सकती है।

यह मंजर तोरवा थाना और आईडब्ल्यू कार्यालय के बीच का है, जहां बुधवार को रेलवे प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर झोपड़ियों को मिट्टी में मिला दिया। वर्षों से बसे इन परिवारों को कई बार नोटिस तो दिए गए, लेकिन इनके पास जाने के लिए कोई और ठिकाना नहीं था। ठंड की सर्द हवाओं के बीच इन झोपड़ियों में बच्चों की हंसी गूंजती थी, जो अब खामोश हो गई है। रेलवे और पुलिस की संयुक्त टीम ने झोपड़ियों को गिराते वक्त वहां मौजूद छोटे-छोटे बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं की चीखों को अनसुना कर दिया।

अब यह परिवार खुले आसमान के नीचे ठंड से कांपते हुए रात गुजारने को मजबूर हैं। रेलवे की इस कार्रवाई के पीछे विकास का तर्क दिया रहा है। खाली कराई गई जमीन पर आईडब्ल्यू कार्यालय का विस्तार किया जाएगा, लेकिन जिनका घर उजड़ गया, उनके लिए कोई योजना नहीं बनाई गई। यह ठंड में बेसहारा हुए लोगों के लिए एक त्रासदी है। सवाल यह है कि मानवता और विकास के इस संघर्ष में गरीब कब तक कुचले जाते रहेंगे? क्या प्रशासन और सरकार इनकी मदद के लिए आगे आएंगे? या फिर इनकी आवाज सर्द हवाओं के बीच दबकर रह जाएगी।

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