छत्तीसगढ़ में जबरन धर्मांतरण पर बनेगा कठोर कानून, दोषियों को मिलेगी 10 साल की सजा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जबरन और प्रलोभन आधारित धर्मांतरण की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए राज्य सरकार आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एक सख्त मतांतरण विरोधी विधेयक पेश करने जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की दिशा में इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सरकार ने नए कानून का मसौदा तैयार करने के लिए ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित नौ राज्यों के धर्म स्वतंत्रता अधिनियमों का अध्ययन किया है। पांच पृष्ठ के मसौदे में कुल 17 महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें प्रलोभन, धोखाधड़ी, दबाव या किसी प्रकार की जबरदस्ती से किए गए धर्मांतरण को गंभीर अपराध माना गया है।

प्रस्तावित कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। यह नया कानून मौजूदा छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की जगह लेगा, जिसमें जबरन धर्मांतरण पर केवल एक वर्ष की जेल और 5,000 रुपये जुर्माना निर्धारित था।

राज्य के बस्तर, जशपुर और रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में प्रलोभन के माध्यम से ईसाई धर्मांतरण के आरोपों को लेकर विवाद लगातार बढ़ते रहे हैं। कई स्थानों पर यह मुद्दा गुटीय संघर्ष का रूप भी ले चुका है, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हुई है।

सरकार का मानना है कि नए विधेयक से ऐसे मामलों पर प्रभावी रोक लगेगी और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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