छत्तीसगढ़ में गरीबों का कल्पवृक्ष बना महुआ, वन विभाग ने चलाया ‘महुआ बचाओ अभियान
मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: डीएफओ मनीष कश्यप ने मनेंद्रगढ़ जिले में महुआ बचाओ अभियान का पायलट प्रोजेक्ट शुरु किया है. शुक्रवार को अभियान में स्थानीय विधायक रेणुका सिंह भी शामिल हुईं. महुआ बचाओ अभियान के तहत अबतक जिले में करीब तीस हजार से ज्यादा महुआ के पौधे लगाए जा चुके हैं. किसानों और लोगों को महुआ लगाने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. वन विभाग ने पौधे बांटने के लिए बाकायदा ट्री गार्डन भी लगा रही है. डीएफओ के मुताबिक ”आने वाले दिनों में महुआ बचाओ अभियान पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी की जा रही है”.
आदिवासियों का कल्पवृक्ष बना महुआ: बस्तर और सरगुजा के आदिवासी जिलों और इलाकों में महुआ के पेड़ को कल्पवृक्ष माना जाता है. महुआ का सीजन जैसे ही आता है गांव की गलिया सूनी और घर आबाद होने लगता है. महुआ से निकलने वाले फल किसान बेचकर अच्छा पैसा कमाते हैं. पेड़ के फल बीज, छाल और पत्तों से दवाएं बनाई जाती हैं. कुल मिलाकर पेड़ के फल से लेकर पत्ते तक की डिमांड बाजार में होने से ये पेड़ किसी कल्पवृक्ष से कम नहीं है. आदिवासियों के आय का ये एक बड़ा स्रोत है. महुआ के पेड़ कम होने से तेजी से महुआ फल की आवक घटती जा रही है.
”महुआ बचाओ अभियान”: महुआ पेड़ों की घटती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने महुआ बचाओ अभियान चलाया है. अभियान के तहत बड़ी संख्या में वन विभाग की जमीन पर महुआ के पौधे लगाए जा रहे हैं. वन विभाग ने इसके लिए पायलट प्रोजक्ट तक चला रखा है. आदिवासी इलाकों में रहने वाले परिवार बड़ी संख्या में महुआ के पौध ले जाकर लगा रहे हैं. खुद बीजेपी विधायक रेणुका सिंह महुआ बचाओ अभियान को प्रमोट करने के लिए शनिवार को मनेंद्रगढ़ पहुंचीं. विधायक ने यहां महुआ का पौधा लगाया.
”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पौधा मां के नाम अभियान चलाया है. अभियान के तहत हमने भी महुआ का पौधा आज लगाया है. महुआ के साथ साथ सभी पेड़ों के पौधे लगाए जाने चाहिए. जंगल यहां का काफी घना है लेकिन जगह भी खाली है. हम सबको आगे आकर इस अभियान से जुड़ना चाहिए”. – रेणुका सिंह, विधायक, बीजेपी
”महुआ बचाओ अभियान हमने जिले में चलाया है. अभियान का मकसद है महुआ के घटते पेड़ों की संख्या को फिर से बढ़ाना. महुआ के पेड़ के कई आदिवासी परिवार का घर चलता है. हमारी कोशिश है कि अभियान से जुड़कर लोग महुआ के पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाएं. आने वाले दिनों में इस अभियान का असर हमको देखने को मिलेगा”. – मनीष कश्यप डीएफओ
क्यों जरुरी है महुआ: महुआ के पेड़ से मिलने वाले फल और इसके छालों से दवाएं बनती हैं. महुआ के फल से मिठाई और चिक्की तक बनाए जा रहे हैं. महुआ के फल से बने सामान हेल्दी होते हैं. महुआ से बने सामानों को अगर हम रोज अपने खाने में शामिल करते हैं तो उससे हम फिट रहते हैं. औसतन एक महुआ पेड़ की आयु साठ साल के करीब मानी जाती है. एक महुआ पेड़ से कई परिवारों का रोजगार चलता है. अगर हर आदमी एक पेड़ लगाए तो कई लोगों को रोजगार घर बैठे बिना लागत के मिल सकता है.