3 साल में मलेरिया अपने चरम पर, डेंगू भी पसार रहा पांव तो स्वाइन फ्लू के भी 5 एक्टिव मरीज
कोरबा: मौसमी और जलजनित बीमारियों इस साल अपने चरम पर हैं. कोरबा में इस साल मलेरिया का सबसे ज्यादा फैलाव देखने को मिला है. ग्रामीण अंचल में मलेरिया के ढेर सारे मरीज मिले हैं तो शहरी क्षेत्र में डेंगू अपने पांव पसार रहा है. कोरबा में स्वाइन फ्लू से भी ग्रसित 5 एक्टिव मरीज हैं. स्वास्थ्य विभाग इनकी निगरानी कर रहा है. आइसोलेशन वार्ड भी तैयार किया जा रहा है, तो जलजनित बीमारियों को रोकने के लिए लगातार दवा का छिड़काव और लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास भी जारी है.
अब तक 476 मलेरिया के मरीज आए सामने : कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र लेमरू और श्यांग में मलेरिया काफी व्यापक पैमाने पर फैला हुआ है. इस क्षेत्र से मलेरिया के ज्यादा मरीज सामने आए हैं. अब तक कोरबा जिले में मलेरिया के 476 मरीज सामने आ चुके हैं. जो बीते 3 साल में सबसे ज्यादा है. मलेरिया के मामलों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने फील्ड पर काम करने वाले मितानिन और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एक्टिव किया है. घर-घर मलेरिया जांच और कैंप भी लगाए जा रहे हैं. ग्रामीण अंचलों को टारगेट कर मलेरिया के मरीजों की तलाश भी की जा रही है.
एंटीजन टेस्ट में 148 डेंगू पॉजिटिव : मलेरिया से भी ज्यादा खतरनाक डेंगू को माना जाता है. हालांकि यह भी मच्छर के काटने से ही फैलता है. कोरबा शहर के करीब मुड़ापार क्षेत्र में डेंगू के ज्यादा मरीज सामने आए हैं. इस क्षेत्र को टारगेट कर स्वास्थ्य विभाग ने यहां दवा का छिड़काव करने के साथ ही जल जमाव जैसी स्थितियों को रोकने की अपील की है. लोगों को भी सावधानी बरतने को कहा गया है, जिलेभर में अब तक एंटीजन टेस्ट में 148 डेंगू के पॉजिटिव मरीज मिले हैं. हालांकि जब इन्हें एलाइजा टेस्ट के लिए ले जाया गया. तब केवल 36 पॉजिटिव मरीज पाए गए. एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य विभाग ने सभी को दवा दी है और बेहतर इलाज पहुंचने का भी दावा किया है
स्वाइन फ्लू के 5 मरीज, आइसोलेशन वार्ड तैयार :छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू की दस्तक के साथ ही कोरबा जिले में भी इसके केस सामने आए हैं. अब तक कोरबा में स्वाइन फ्लू के 5 एक्टिव मरीज मिले हैं. स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य फ्लू की तरह ही होते हैं. इसलिए ज्यादा दिन तक बुखार रहने या तापमान ज्यादा रहने पर स्वास्थ्य विभाग यह टेस्ट करता है. अब तक पांच मरीज मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 10 बेड का एक आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है, जहां स्वाइन फ्लू के मरीजों को ही रखे जाने की तैयारी है. यदि स्थिति खराब हो तभी मरीजों को भर्ती किया जाता है.
सभी मरीज निगरानी में, जागरूकता भी जरूरी : कोरबा जिले के सीएमएचओ डॉ एसएन केसरी का कहना है कि “वर्तमान में मौसमी और जल जनित बीमारियां अपने चरम पर हैं. मलेरिया के ज्यादा मरीज मिले हैं. पिछले 3- 4 साल में सबसे ज्यादा मरीज कोरबा जिले में पाए गए हैं. डेंगू के मरीज भी मुड़ापार क्षेत्र में मिले हैं. इसी तरह स्वाइन फ्लू के भी पांच एक्टिव मरीज हैं. हम सभी की निगरानी कर रहे हैं. बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास है, लोगों को भी चाहिए कि वह जल जमाव को रोकने के साथ ही अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें. बुखार यदि ज्यादा तेजी से आए, सिर में दर्द हो तो तत्काल अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें. हमारे पास इलाज की पूरी व्यवस्था है.”