अब नई तकनीक का इस्तेमाल करेगी छत्तीसगढ़ सरकार, AI से रखेगी नक्सलियों पर निगरानी

रायपुर: पुरी दुनिया में जहां AI तकनीकों का दौर चल रहा है.. और सभी देश अपनी तकनीकों को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.. ऐसे में छत्तीसगढ़ भी अब डिजिटल युग की ओर बड़ी छलांग लगा रहा है और नई तकनीकों की तरफ रुख करते हुए छत्तीसगढ़ में देश का पहला AI डेटा सेंटर पार्क बनाने जा रहा है… जिससे छत्तीसगढ़ में कई नई तकनीकों का विकास होगा.. और छत्तीसगढ़ देश के विकास में कदम से कदम बढ़ाएगा..
वहीं दुसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षाबल, लगातार नक्सलवाद के खात्में के लिए प्रदेश भर में ऑपरेशन कगार चला रही है.. जिसमें नक्सलियों के बड़े लीडर्स पर सुरक्षाबलों ने अपनी नज़रे टिकाई हुई है.. और उनकी हर एक मुवमेंट पर नज़र रखने की कोशिश की जा रही है.. लेकिन खास बात ये है कि अब इसमें AI तकनीकों का इस्तेमाल होगा… जिसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार, प्रदेश भर में, शहर से लेकर गांव तक और जंगल में छुपे माओवादियों का डाटा बेस करेगी.. और उन पर कड़ी निगरानी रखेगी..
असल में सरकार नक्ससलियों की हर हरकत पर निगरानी की तैयारी में है… इसमें उनकी व्यक्तिगत जानकारी के साथ ही उनके गांव, ग्रुप, सब ग्रुप, हथियार, मूवमेंट और ठहरने के सुरक्षित ठिकानों की जानकारी इनपुट की जाएगी.. जिसके लिए राज्य सरकार एक साफ्टवेयर भी तैयार कर रही है… ताकि इस साफ्टवेयर में माओवादियों का डाटा इनपुट किया जा सके…
वहीं इस डाटा इस्तेमाल, AI यानि कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एनालिसिस करेगी… जिससे मिले आउटपुट के जरिए नक्सलियों के काम करने के पैटर्न से लेकर उनकी हर एक गतिविधी और कामकाज के तरीके की पड़ताल की जाएगी.. इसी के आधार पर गांव से लेकर शहर तक उनकी गतिविधियों पर सरकार नजर रख सकेगी..
इसके लिए सरकार हर माओवादी के गांव, विलेज प्रोफाइल, एरिया ऑफ आपरेशन, जांच रिपोर्ट, माओवादी कैडर के लिए घोषित इनाम और आर्म्स के लिए घोषित इनाम.. सभी जानकारी इकट्ठा कर रही है..जो एक बार साफ्टवेयर में अपलोड कर दी जाएगी.. उसके बाद प्रतिदिन या एक नियत समय पर ग्रुप या कैडर के नाम में डाटा अपलोड किया जाएगा..
हर दिन कैडर या ग्रुप के लोकेशन, गिरफ्तार किए गए कैडर की सूची, मारे गए कैडर की सूची, बेल पर और सरेंडर करने वाले कैडर की भी सूची अपलोड की जाएगी… इसके अलावा लूटे गए हथियार और सुरक्षा उपकरण के साथ ही कैडर का मूल स्थान, सोशल मीडिया अपलोड्स, वेब पोर्टल अपलोड्स की भी जानकारी साफ्टवेयर में अपलोड की जाएगी..
वहीं राज्य सरकार माओवादियों का क्रिमिनल प्रोफाइल भी तैयार करेगी… इसमें माओवादियों के फोटो, पता, क्राइम का प्रकार, आईडी प्रूफ, बैंक, एजुकेशन, रिवार्ड्स, मेडिकल और संपर्क जैसी कई डिटेल्स होंगी। इसके अलावा उनके रैंक, कोड नंबर, आपरेशन एरिया और हथियार की भी जानकारी रखी जाएगी।
इसके बाद इस साफ्टवेयर की मदद से राज्य सरकार कैडर लोकेशन और उनके डेरा के अलग- अलग स्थानों को भी चिन्हित करेगी.. और GIS मैप की मदद से कैडर लोकेशन और वारदातों के आधार पर हॉट स्पॉट्स चिन्हित करेगी… इसके अलावा उनके मीटिंग की और प्रशिक्षण की जगहों पर भी सरकार नजर रखेगी.. जिसके जरिए नक्सलियों के हर मुवमेंट को ट्रेक किया जाएगा.. साथ ही जमानत पर छूटे माओवादियों और मृत माओवादियों के परिजनों का भी डाटा बेस तैयार किया जाएगा.. ताकि उनसे भी जुड़े डाटा और अपडेट्स सरकार पास रहे…
इससे होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार के पास नक्सलियों की हर एक जानकारी होगी.. जिससे AI उनकी लोकेशन्स ट्रेक कर पाएगी.. और उनके हर एक मुवमेंट की जानकारी सुरभाबलों और सरकार को उपलब्ध कराएगी.. जिससे छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का खात्मा और भी आसान होगा.. और छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से मुक्त हो पाएगा..
बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक का समय तय किया है.. जिसके तहत राज्य में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं.. ऐसे में नक्सलियों के 85 प्रतिशत कैडर समाप्त हो चुके हैं.. इसके अलावा जनवरी 2024 से अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 237 नक्सली मारे गए हैं.. और 812 गिरफ्तार हुए हैं जबकि 723 ने आत्मसमर्पण कर दिया है.. वहीं अब AI तकनीक के इस्तेमाल से ये ऑपरेशन और भी तेज़ हो पाएगा…





