त्रिभुवन विश्वविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर नेपाल की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों में टकराव
काठमांडू। नेपाल के काठमांडू में स्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय की सीनेट बैठक के दौरान डीन और कैंपस प्रमुखों की नियुक्ति को लेकर नेपाल की सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल और विपक्षी सीपीएन (माओवादी केंद्र) के बीच तनाव बढ़ गया। काठमांडू मीडिया ने इस विवाद को खुलासा किया है।
काठमांडू मीडिया के अनुसार गुरुवार को सीपीएन-यूएमएल से जुड़े छात्र नेताओं ने कुलपति केशर जंग बराल की “योग्यता” के आधार पर डीन और कैंपस प्रमुखों की नियुक्ति की योजना की आलोचना की। जबकि माओवादी केंद्र से जुड़े लोगों ने उनका बचाव किया। यूएमएल के छात्र नेता इस दृष्टिकोण का कड़ा विरोध करते हैं, उनका दावा है कि यह बराल के वफादारों से पदों को भरने के लिए एक राजनीति से प्रेरित कदम है।
इससे चिकित्सा और इंजीनियरिंग समेत कई संस्थानों में डीन की नियुक्ति में देरी हुई है। कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष बिराज आर्यल ने सीनेट की बैठक के दौरान पूछा, “आप किस तरह की योग्यता की बात कर रहे हैं, जब आप केवल अपने लोगों को नियुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं?” आर्यल ने बराल पर नियुक्तियों में बाधा डालने के लिए यूएमएल को दोषी ठहराने के लिए मीडिया ट्रायल का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
चांसलर के तौर पर सीनेट की अध्यक्षता करने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया। ओली ने कहा, “नियुक्ति में योग्यता बनाए रखना हमेशा अच्छा होता है, लेकिन यह वास्तविक होना चाहिए। योग्यता के नाम पर कोई नाटक नहीं होना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया, “मीडिया ने जो दावा किया है, उसके खिलाफ मेरी तरफ से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है। हालांकि, मैंने सही मायने में योग्यता पर जोर दिया है।
22 दिसंबर को दोबारा बैठक
काठमांडू मीडिया के अनुसार कार्यवाहक महासचिव कबींद्र बुर्लाकोटी ने गुरुवार को एक बयान जारी कर शैक्षणिक नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप की निंदा की। बयान में कहा गया है, “राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी अपनी स्थापना के समय से ही विश्वविद्यालयों में योग्यता और क्षमता के आधार पर नियुक्तियों की वकालत करती रही है। डीन की नियुक्तियों के अंतिम रूप से तय होने के बाद 18 कैंपस प्रमुखों का चयन किया जाएगा। नियुक्तियों को अंतिम रूप देने के लिए 22 दिसंबर को टीयू की सीनेट फिर से बैठक करेगी।