मध्यप्रदेश

विदिशा में कलेक्टर ने थामा चाक व डस्टर, खुद विद्यार्थियों को पढ़ाने पहुंचे तो बदलने लगी स्कूलों की तस्वीर…

विदिशा। बदहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक कलेक्टर ने खुद ही चाक-डस्टर पकड़ लिया है। कलेक्टर प्रत्येक सप्ताह एक स्कूल में पहुंचकर 10वीं-12वीं के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। शुरुआत बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम सुधारने की कवायद के तौर पर हुई है, लेकिन इस पहल से विदिशा जिले के दूसरे स्कूलों की तस्वीर भी बदलने लगी है।

वर्ष 2015 बैच के आईएएस अधिकारी रौशन कुमार सिंह आईआईटी दिल्ली से पढ़े हैं। बेहतर शिक्षा के प्रति उनका काफी झुकाव है। तीन महीने पहले जब उन्होंने विदिशा में कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला तो उन्हें जिले की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का पता चला। निरीक्षण के दौरान अधिकांश स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का स्तर बेहद कमजोर मिला।

विभागीय अधिकारियों को भी जोड़ा

इसी के बाद उन्होंने प्राथमिक और मिडिल स्कूलों की व्यवस्थाओं को मजबूत करने का जिम्मा विभागीय अधिकारियों को सौंपा और हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में बेहतर शिक्षा का माहौल बनाने की कमान खुद संभाली। अब उन्हें जब समय मिल रहा है वे स्कूल पहुंचकर शिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं।

इस माह तीन स्कूलों में ली कक्षाएं

इस महीने उन्होंने सीएम राइज स्कूल, एमएलबी स्कूल और हैदरगढ़ हायर सेकंडरी स्कूल में कक्षाएं ली हैं। कलेक्टर इस पहल में जिले के दूसरे बुद्धिजीवियों को भी जोड़ रहे हैं, ताकि बच्चों को परीक्षा की बेहतर तैयारी कराई जा सके।

गणित, विज्ञान और कॉमर्स की पढ़ाई

अपनी कक्षाओं में कलेक्टर रोशन कुमार सिंह गणित, भौतिक विज्ञान और कामर्स की पढ़ा रहे हैं। इसमें भी उनका ज्यादा जोर परीक्षा की तैयारी पर है। एमएलबी स्कूल में उन्होंने पुराने प्रश्न पत्र हल कराए, ताकि बच्चे समय सीमा में प्रश्नपत्र हल करना सीख जाएं। उन्होंने शिक्षकों से भी कहा है कि पांच साल के प्रश्नपत्रों को लगातार हल कराने का अभ्यास कराएं।

दूसरे स्कूलों में भी दिखने लगा बदलाव

कलेक्टर अभी तीन स्कूलों में पहुंचे हैं, लेकिन इसका असर जिले के सभी 207 स्कूलों में दिखने लगा है। एमएलबी स्कूल की प्राचार्य डॉ. दीप्ति शुक्ला का कहना था कि कलेक्टर के क्लास लेने के बाद बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह जागा है, वहीं शिक्षक भी अपने विषय की कक्षाओं में अध्यापन के प्रति गंभीर हुए है। उनका कहना था कि पहली बार अकादमिक रूप से शिक्षकों को भी परखा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में भी स्कूल संचालन की व्यवस्था में सुधार देखने को मिल रहा है। अब शिक्षकों के बीच इस बात की चिंता रहती है कि कलेक्टर कभी भी उनके स्कूल आ सकते है, इसलिए वे बच्चों की उपस्थिति पर भी ध्यान देने लगे है।

लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई भी तेज

इस नई पहली के बाद प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में भी अधिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है। बीआरसी से लेकर एपीसी और डीपीसी तक को स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले तीन माह के दौरान स्कूलों में समय पर न पहुंचने वाले 225 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए है। अब नई व्यवस्था के तहत शिक्षकों के हाजरी रजिस्टर प्रतिदिन वाट्सएप पर बुलाने की तैयारी की जा रही है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कुशाग्र हैं, लेकिन वे परीक्षा के तौर तरीके से डर जाते हैं। मेरा उद्देश्य है कि बच्चों के मन से परीक्षा का डर निकाला जाए। उन्हें आसान भाषा में विषय पढ़ाएं जाएं। इसकी शुरुआत खुद से ही की है। इसमें समाज के बुद्धिजीवियों को भी जोड़ा जाएगा। इस वर्ष हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों का परीक्षा परिणाम दस फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
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