पुलिस ने पकड़ी चोर गैंग, बहोड़ापुर में चोरी का राजफाश, पुराना नौकर निकला सरगना..
ग्वालियर। बहोड़ापुर स्थित सरकारी मल्टी के पास रहने वाले अंकित शर्मा के सूने फ्लैट का ताला तोड़कर चोर गहने और रुपये चोरी कर ले गए थे। चोरी एक माह पहले हुई थी। अंकित शर्मा परिवार के साथ हरिद्वार गए थे। इस मामले में बहोड़ापुर पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर चोर की तलाश शुरू की।
पुलिस को सीसीटीवी कैमरों के फुटेज मिले, जिसमें चोर नजर आए। एक चोर की पहचान राहुल पुत्र पुरुषोत्तम माहौर निवासी तारागंज के रूप में हुई। उसके बारे में जब पुलिस ने पड़ताल की तो सामने आया कि वह अंकित शर्मा के घर पहले काम करता था। पुलिस ने उसे राउंड अप कर पूछताछ की तो उसने अपने चार साथियों के साथ चोरी करना स्वीकार किया।
पुलिस ने उसके साथी विवेक पुत्र गणेश यादव निवासी सरकारी मल्टी सिंधिया नगर, भारत उर्फ भूरा पुत्र जगदीश जाटव निवासी वीर हनुमान मंदिर तारागंज, देवेंद्र कुशवाह पुत्र गोपाल सिंह कुशवाह निवासी तारागंज, अखिलेश उर्फ गोलू पुत्र सीताराम झा निवासी धोबी मोहल्ला, इमली नाका को भी गिरफ्तार कर लिया।
इन लोगों के पास से चांदी की दो कटोरी, चार जोड़ी पायल, चांदी के पांच सिक्के, चांदी की तीन चम्मच, तीन जोड़ी चांदी के कड़े, एक आइफोन 15 प्रो, एक सैमसंग फोल्ड जेड, एक आइफोन-12 बरामद हुआ। इन लोगों से बरामद माल की कीमत करीब चार लाख रुपये बताई गई है।
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80 साल के सेवानिवृत्त मेजर भारत सिंह के डेढ़ लाख रुपये को पोस्ट आफिस के एजेंट और पोस्ट मास्टर द्वारा साठगांठ कर ठग लेने के मामले में सुनवाई हुई। जिसमें पुलिस ने आरोपितों के गिरफ्तारी वारंट को लेकर बयान देते हुए कहा कि आरोपित अपना घर बेचकर चले गए हैं। इसलिए वारंट की तामील नहीं हो सकी है। जिस पर फरियादी के अधिवक्ता आशीष प्रताप सिंह ने कहा कि पुलिस का दायित्व है आरोपितों को खोजना, जिसके लिए पुलिस को प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर आरोपित नहीं मिले हैं तो जमानतदारों के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर उनका पता नहीं चल रहा है तो पुलिस बैंक से सहायता भी ले सकती है। ऐसे समझें मामला: बता दें कि वर्ष 2000 में शिकायतकर्ता ने पोस्ट आफिस में अधिकृत एजेंट लीला देवी जैन के माध्यम से दो खाते खुलवाए जिनमें हर महीने कुछ राशि जमा करना शुरू किया। इसमें नियम समय के बाद राशि बढ़ाकर फायदे के साथ उन्हें भुगतान होता।
जब इन खातों का भुगतान होने की बारी आई तो पता चला कि उनकी पूरी राशि खुर्द-बुर्द कर दी गई है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि एजेंट ने पोस्ट मास्टर के साथ मिलकर सांठगांठ से पैसे निकाल लिए हैं। उन्हें लगभग ड़ेढ लाख रुपये का भुगतान होना था जो राशि उन्हें नहीं मिली। जिसकी शिकायत उन्होंने 2007 में थाना ग्वालियर में दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस ने भी इस मामले में कोई उचित कार्रवाई नहीं की तो अंत में न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।