पोती को MBBS में प्रैक्टिकल के लिए नहीं मिली थी डेड बॉडी, दादा ने किया देहदान..
ग्वालियर: किसान बाबूलाल राजौरिया की देह अब चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के काम आएगी। चिकित्सा छात्र उनकी देह से चिकित्सीय परीक्षण कर सकेंगे। रविवार को गजराराजा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग पहुंचकर उनके बेटे देवेन्द्र सिंह राजौरिया व स्वजन ने देहदान की कागजी कार्रवाई पूरी कर विभागाध्यक्ष डा. अखिलेश त्रिवेदी को उनका शव सौंप दिया।
पोती को प्रैक्टिकल के लिए नहीं मिली थी डेड बॉडी
विदिशा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में जब पोती डा. पारुल को पढ़ाई के लिए डेड बॉडी नहीं मिली थी, तब दादा बाबूलाल ने अपनी देह चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के लिए दान करने का संकल्प लिया था। रविवार को निधन के बद राजौरिया की पार्थिव देह को लेकर स्वजन गजराराजा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग पहुंचे और देहदान की प्रक्रिया पूरी की।
फरवरी 2022 में भरा था देहदान का फार्म
न्यू सुरेश नगर हरिपुरम कालोनी निवासी बाबूलाल राजौरिया (93) का रविवार की सुबह निधन हुआ। दिवंगत राजौरिया की इच्छा थी कि निधन के बाद उनका शव चिकित्सा छात्रों की पढ़ाई के काम आए, लिहाजा वे देहदान करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने फरवरी 2022 में एनाटॉमी विभाग में देहदान का फार्म भरने के साथ-साथ आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी की थी। साथ ही स्वजन को अपने संकल्प से अवगत कराया था।
अब तक 53 देहदान
गजराराजा मेडिकल कॉलेज में अब तक 53 देहदान हुए हैं। जीआरएमसी को सौंपी गई बाबूलाल की देह 53वीं थी। एनाटॉमी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. त्रिवेदी ने कहा कि देह के जरिये चिकित्सा छात्र शरीर की संरचना को समझते हैं। देहदान को लेकर लोगों में जागरूकता आ रही है। इसके चलते चिकित्सा छात्रों को शरीर की संरचना को समझने का मौका मिल रहा है।